व्हाट्सएप ग्रुप से फर्जी ऐप तक: डॉक्टर से 22.70 लाख ठगने वाले हरियाणा से दो गिरफ्तार, फेक स्टॉक ऐप का भंडाफोड़

नई दिल्ली: दिल्ली के शाहदरा जिला साइबर पुलिस ने फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग ऐप के माध्यम से एक महिला डॉक्टर से 22 लाख 70 हजार रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाफोड़ किया है। पुलिस ने हरियाणा के हिसार से दो युवा आरोपियों को गिरफ्तार किया, जो ठगों को बैंक अकाउंट उपलब्ध कराने का काम करते थे। आरोपी बैंक खाते सौंपकर प्रति खाता 4000 रुपये कमीशन लेते थे।

शाहदरा जिले के डीसीपी प्राशांत गौतम ने बताया कि 13 नवंबर को पीड़िता डॉ. गर्ग ने नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया, जहां 5 एडमिन डी-मैट शेयर्स की निवेश योजनाओं की चर्चा करते थे। ग्रुप एडमिन यालिनी गुना ने अपनी ऐप के जरिए निवेश का प्लान ऑफर किया। पीड़िता ने लिंक से ऐप डाउनलोड की और शुरू में 11 ट्रांजेक्शन में करीब 2.70 लाख रुपये निवेश किए। ऐप पर फेक प्रॉफिट दिखाकर भरोसा जमाया गया, लेकिन निकासी की कोशिश पर बहाने बनाए गए और ज्यादा निवेश के लिए दबाव डाला गया। इस तरह कुल 22.70 लाख रुपये ठग लिए गए। बाद में ऐप पर पीड़िता को ब्लॉक कर दिया गया।

शिकायत पर साइबर पुलिस स्टेशन शाहदरा में ई-एफआईआर दर्ज की गई। जांच अधिकारी इंस्पेक्टर श्वेता शर्मा के नेतृत्व में टीम गठित की गई, जिसमें एचसी जावेद, एचसी दीपक, एचसी नरेंद्र शामिल थे। एसएचओ विजय कुमार और एसीपी मोहिंदर सिंह के सुपरविजन में जांच आगे बढ़ी।

जांच में पीड़िता द्वारा ट्रांसफर किए गए अकाउंट्स की डिटेल्स ली गईं। एनसीआरबी पोर्टल पर ट्रेल चेक करने से पता चला कि रकम बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एक अकाउंट में गई, जिसका होल्डर हिसार निवासी समीर था। उसके रजिस्टर्ड मोबाइल की सीडीआर से अन्य संदिग्ध नंबर मिले। 10 नवंबर को टीम हिसार पहुंची और समीर तथा देव सिंह को हिरासत में लिया। पूछताछ में समीर ने कबूल किया कि उसने 5-6 बैंक अकाउंट खोलकर देव सिंह को सौंपे थे और प्रति अकाउंट 4000 रुपये लिए। दोनों की तलाशी से दो मोबाइल फोन और तीन सिम कार्ड बरामद हुए, जिन्हें जब्त कर लिया गया। दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

डीसीपी ने बताया कि पूछताछ में ठगी का मॉडस ऑपरेंडी सामने आया। ठग सोशल मीडिया, व्हाट्सएप या टेलीग्राम पर खुद को स्टॉक एक्सपर्ट या फाइनेंशियल एडवाइजर बताकर संपर्क करते हैं। हाई रिटर्न का लालच देकर छोटी रकम निवेश करवाते हैं और फेक प्रॉफिट दिखाकर या छोटा रिटर्न देकर भरोसा बनाते हैं। फिर बड़ी रकम डलवाते हैं। ज्यादा पैसे आने पर अकाउंट फ्रीज या टैक्स-कंप्लायंस का बहाना बनाकर निकासी रोकते हैं। अधिकतम रकम लूटकर संपर्क तोड़ देते हैं या ब्लॉक कर देते हैं। इसके लिए बड़े स्तर पर म्यूल बैंक अकाउंट्स की जरूरत पड़ती है, इसलिए लोगों को पैसे देकर अकाउंट खुलवाते या एक्सेस लेते हैं।

डीसीपी प्राशांत गौतम ने बताया कि दोनों आरोपी 22 साल के हैं—समीर और देव सिंह, दोनों हिसार के अर्बन एस्टेट सेक्टर 9-11 के रहने वाले। जांच जारी है और मुख्य ठगों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।

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