कानपुर: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के हालिया “जिहाद” संबंधी बयान पर तीखा हमला बोला है। कानपुर में एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने साफ कहा कि कुरान में जिहाद का मतलब सिर्फ और सिर्फ अत्याचार व अन्याय के खिलाफ खड़ा होना है, लेकिन देवबंद के मदरसों में इसका बिल्कुल उल्टा अर्थ पढ़ाया जा रहा है।मदनी के बयान पर सीधा वालमौलाना मदनी ने हाल में कहा था, ‘जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा’, इस बयान पर राज्यपाल ने कटाक्ष करते हुए पूछा, अगर मौलाना साहब सचमुच कुरान वाले जिहाद को मानते हैं, तो 1990 में जब कश्मीर में हिंदुओं पर भयानक अत्याचार हो रहा था, मस्जिदों से हिंदुओं को मारने-भगाने के फरमान सुनाए जा रहे थे, लाखों कश्मीरी पंडितों को घर छोड़ने पड़े उस वक्त मौलाना मदनी जिहाद करने क्यों नहीं पहुंचे? आरिफ मोहम्मद खान ने दावा किया कि दारुल उलूम देवबंद से जुड़े शिक्षण संस्थानों की किताबों में जिहाद का अर्थ ‘शरीयत का विरोध करने वालों के खिलाफ लड़ाई’ बताया गया है। उन्होंने कहा, ये किताबें तो जादू-टोना करना तक जायज बताती हैं। वहाँ पूरा कुरान नहीं पढ़ाया जाता, चुनिंदा आयतों को संदर्भ से काटकर गलत अर्थ थोपे जाते हैं।वंदे मातरम् पर भी साधा निशानाराज्यपाल ने ‘वंदे मातरम्’ के विरोध को भी निशाना बनाया। उन्होंने बताया कि कई साल पहले उन्होंने इसका उर्दू अनुवाद प्रमुख मौलानाओं को भेजा था, किसी ने एक शब्द पर भी आपत्ति नहीं जताई थी। विरोध सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि संस्कृत से परिचय नहीं है। अगर उर्दू अनुवाद पढ़ लें तो कोई दिक्कत नहीं रहती।
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