लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई हैं। जल्द पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर तेज हो गया है। जनवरी अंत तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है।कोरम पहले से पूरा: भाजपा प्रदेश संगठन चुनावपिछले साल अक्टूबर में शुरू हुए थे। तब कहा गया था कि नए साल में पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। मार्च में 70 जिलाध्यक्षों का ऐलान हो गया था। तब से प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव लगातार टल रहा था। कभी खरमास, पहलगाम हमले और उप राष्ट्रपति चुनाव सहित कई वजहें बताकर नए अध्यक्ष के ऐलान में देरी की बात कही गई। अभी हाल ही में 14 और जिलाध्यक्षों का ऐलान कर दिया गया है। इस तरह प्रदेश में 84 जिलाध्यक्षों का ऐलान हो चुका है, जबकि प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए 50 फीसदी का चयन ही जरूरी है। प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में एक सबसे बड़ी दिक्कत ये भी थी कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी अभी नहीं हुआ है। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि यूपी जैसे राज्य में तभी प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान किया जाए, जब राष्ट्रीय अध्यक्ष पर सहमति बन जाए। इससे केंद्र और राज्य के बीच बेहतर तालमेल हो सकेगा। यदि राष्ट्रीय अध्यक्ष ओबीसी या दलित को चुना जाता है तो यहां सवर्ण पर भी दांव लगाया जाता है। यदि राष्ट्रीय अध्यक्ष सवर्ण होता है तो यूपी में ओबीसी या दलित अध्यक्ष का चयन किया जाएगा।बिहार चुनाव के बाद आई सरगर्मीःपार्टी सूत्रों का कहना है कि बिहार चुनाव में पार्टी के ज्यादातर छोटे-बड़े नेता व्यस्त थे। अब वह चुनाव भाजपा बड़े बहुमत से जीत चुकी है। बिहार में भी प्रदेश अध्यक्ष को नीतीश मंत्रीमंडल में जगह मिलने के कारण वहां भी अध्यक्ष का चुनाव होना है। बिहार और यूपी के अलावा हरियाणा, कर्नाटक और दिल्ली प्रमुख राज्य हैं, जहां अध्यक्ष का चुनाव होना है।बिहार चुनाव के बाद दिल्ली में भी पार्टी संगठन की बैठकों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी सहित प्रमुख राज्यों के अध्यक्षों पर भी सहमति बन जाएगी। प्रदेश महामंत्री संगठन भी शनिवार को दिल्ली गए थे। इसी हफ्ते लखनऊ में भी संगठन के पुनर्गठन को लेकर बैठके रखी गई हैं। अगले महीने 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास है। ऐसे में 26 जनवरी तक नए अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है।दावेदारों की लबी लिस्टपार्टी में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दावेदार कई हैं, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि सबसे ज्यादा उम्मीद ओबसी अध्यक्ष बनने की है। ज्यादातर पार्टी के शीर्ष नेता यही चाहते हैं। खासतौर से 2027 के चुनाव को देखते हुए सबसे बड़े ओबसी वर्ग को पार्टी अपने साथ रखना चाहती है। इससे पहले 2017 में प्रदेश अध्यक्ष रहे केशव प्रसाद मार्य की अगुवाई में भाजपा ने बड़ी सफलता हासिल की थी।इसके अलावा ओबीसी दावेदारों में धर्मपाल सिंह, स्वतंत्र देव, अमर पाल मौर्य, बीएल वर्मा और बाबू राम निषाद का नाम चर्चा में है। दलित चेहरों में विनोद सोनकर, जुगल किशोर और विद्या सागर सोनकर है। ब्राह्मण चेहरे में डॉ. दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, विजय बहादुर पाठक और गोविंद नारायण शुक्ला का नाम चर्चा में हैं।
Sign in
Sign in
Recover your password.
A password will be e-mailed to you.
Comments are closed.