भोपाल से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को BJP बना सकती है प्रत्याशी

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भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उमाभारती के भोपाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने से मना करने के बाद भारतीय जनता पार्टी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उम्मीवार बना सकती है। भाजपा से जुड़े उच्च पदस्थ सुत्रों ने प्रज्ञा के नाम की पुष्टि की है। आज देर रात तक नाम की घोषणा हो सकती है। इसके साथ ही बाकी बची चार सीटों पर भी नाम की घोषणा हो सकती है।
भोपाल सीट बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है। बीजेपी यहां 1989 से ही जीतती आ रही है। इस सीट से अंतिम बार 1984 के चुनाव में कांग्रेस से के एन प्रधान जीते थे। कांग्रेस भोपाल से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के नाम की घोषणा करीब 25 दिन पहले ही कर चुकी है।
दिग्विजय सिंह के नाम की ओर भोपाल से भाजपा के प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा दावेदारी कर रहे थे। लेकिन दिग्विजय सिंह का नाम आने के बाद उनका नाम चर्चा में नहीं आया। इसके बाद शिवराज सिंह उमाभारती से पार्टी ने चुनाव लड़ने कहा, लेकिन दोनों ही नेताओं ने चुनाव लड़ने मना कर दिया।
अपने नाम की चर्चा के बीच प्रज्ञा ने माडिया से चर्चा करते हुए कहा कि वह दुश्मन को परास्त करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। मेरी कुछ स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हैं, जिनके लिए दिग्विजय सिंह जिम्मेदार हैं। मैं कभी उन धब्बों को नहीं भूल सकती, जो उन्होंने मेरी जिंदगी पर लगाए हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या पार्टी की तरफ से आपके चुनाव लड़ने को लेकर कोई फैसला लिया गया है, तो उन्होंने कहा कि वह दुश्मन को परास्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इसके बाद से दिग्विजय सिंह के खिलाफ पार्टी ने प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर विचार किया। साध्वी प्रज्ञा का जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ था। हिस्ट्री में पोस्ट ग्रैजुएट हैं। वह एबीवीपी की सक्रिय सदस्य भी रह चुकी हैं।
16 साल बाद चुनाव लड़ने जा रहे हैं दिग्विजय : 1993 से 2003 तक 10 साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह 2003 में दस साल तक चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी। 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उसी साल यानी 2014 में कांग्रेस ने दिग्विजय को राज्यसभा में भेज दिया।
कौन हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर : साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पहली बार तब चर्चा में आईं, जब 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया। वह 9 सालों तक जेल में रहीं।  उन्होंने कहा था कि उन्हें लगातार 23 दिनों तक यातना दी गई थी। उनका आरोप है कि तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हिंदू आतंकवाद का जुमला गढ़ा और इस नैरेटिव को सेट करने के लिए उन्हें झूठे केस में फंसाया गया। साध्वी प्रज्ञा 2007 के आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में भी आरोपी थीं, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।

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