नाव पलटने से भारत के आखिरी गांंव में मातम; छलका ग्रामीणों का दर्द, बोले- दूसरे रास्ते पर जंगली जानवरों का खतरा, नदी पार करना मजबूरी

राष्ट्रीय जजमेन्ट 

लखीमपुर खीरी : ‘बहराइच के भरथापुर गांव में कई समुदायों के लोग रहते हैं. यहां के ग्रामीणों के पास रोजमर्रा के सामानों के खरीदारी के लिए 2 विकल्प हैं. पहला यह कि वह जंगल के रास्ते सफर कर 35 किमी दूर बिछिया बाजार में पहुंचे. इस मार्ग पर जंगली जानवरों के हमले का भी खतरा रहता है. दूसरा यह कि ग्रामीण 15 किमी दूर लखीमपुर खीरी के खैरटिया गांव के बाजार में जाएं. इसके लिए उन्हें नाव से कौड़ियाला नदी पार करनी पड़ती है. पैसा बचाने और जोखिम कम होने से लोग मजबूरी में यही रास्ता चुनते हैं’.दो नदियों के बीच जंगल में बसा है भरथापुर : अक्षय ने बताया कि भरथापुर गांव उनके गांव से थोड़ी दूरी पर पड़ता है. भरतापुर नदी के किनारे जंगल के बीच बसा है. गांव के एक तरफ कौड़ियाला नदी बहती है, जबकि दूसरी तरफ मोहाना है. गांव में आदिवासी से लेकर पिछड़े जाति के लोग भी रहते हैं. बाजार करने के लिए एक तरफ बिछिया है तो दूसरी तरफ खैरटिया गांव है. बिछिया की तरफ जंगल पड़ता है लेकिन खैरटिया की तरफ नदी है. इस पर जंगल नहीं पड़ता है.बच्चों-बुजुर्गों समेत खरीदारी करने जाते हैं लोग : ग्रामीण ने बताया कि बिछिया वाला रास्ता जंगल से होकर गुजरता है. वहां हमेशा जंगली जानवरों के हमले का खतरा बना रहता है. इसलिए गांव के लोग खैरटिया गांव के बाजार में जाना ज्यादा पसंद करते हैं. गांव के लोग बच्चों समेत नाव से वहां जाते हैं. इसके बाद खरीदारी कर लौटते हैं. बुधवार को कुल 22 लोग नाव में सवार थे. इसमें 5 बच्चे भी थे. बुजुर्ग भी थे. 3 बाइक के अलावा कुछ साइकिलें भी थीं. नदी में लकड़ी से टकराने के कारण नाव पलट गई. इससे हादसा हो गया.गांव के लोग ही चलाते हैं नाव : ग्रामीणों के अनुसार भरथापुर गांव के कुछ लोग नाव से ग्रामीणों को पार कराते हैं. इसके लिए वे किराया भी लेते हैं. इससे उनकी कमाई हो जाती है. ग्रामीणों को भी सहूलियत मिल जाती है. काफी समय से लोग इसी तरह नदी के पार आया-जाया करते हैं. घटना के बाद गांव में मातम है. बुधवार से ही घरों में चूल्हे नहीं जले. गांव की हर गली और हर घर में बस हादसे की ही चर्चा है. काफी संख्या में ग्रामीण रातभर कौड़ियाला नदी के किनारे डटे रहे. जिनके परिवार के लोग डूबे हैं, उनमें चीख-पुकार मची रही.’पता नहीं था, यह अनहोनी हो जाएगी’ : भरथापुर के राधेश्याम ने बताया कि हादसे में हमारी बड़ी बहू सुमन और एक पोती छोटी भी डूब गए. बहू नदी के पार अपने मायके से लौट रही थी. अभी उनका कुछ पता नहीं चल पाया है. हादसे के बाद हम और हमारे परिवार के लोग नदी के किनारे ही मौजूद हैं. प्रशासन हमें वापस भेज रहा है. तलाश चल रही है. गांव के लोग काफी समय से नाव से ही नदी पार करते चलते आए है, किसी को पता नहीं था कि यह अनहोनी हो जाएगी.रेस्क्यू अभियान का लेटेस्ट अपडेट भी जानिए : हादसे के बाद ही एसडीआरएफ-एनडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई थी. गोताखोरों की मदद से नदी में सर्च अभियान चलाया जा रहा है. बुधवार की रात में केवल गांव की महिला रामदेई (60) का शव नदी से निकाला जा सका था. गुरुवार की सुबह फिर से रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया. हालांकि शाम तक कोई सफलता नहीं मिली. बहराइच के डीएम अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि नदी में तेज बहाव और गहराई ज्यादा होने के कारण बचाव कार्य में कठिनाई आ रही है.लापता लोगों में मिहीलाल (40) पुत्र पुतई, शिवनंदन (50) पुत्र शालिकराम, सुमन देवी (28) पत्नी प्रमोद, सुहानी (5) पुत्री प्रमोद, कोमल (5) पुत्री पंचम, ओमप्रकाश (30), उसका भाई मीनू (5) पुत्रगण घनश्याम, शिवम (11) पुत्र रामनरेश की तलाश की जा रही है. वहीं डीएम ने खुद बोट में सवार होकर रेस्क्यू अभियान का जायजा लिया.अब बुधवार को हुई घटना के बारे में जानिए : भरथापुर गांव के लोग बुधवार को खरीदारी करने के लिए लखीमपुर खीरी के खैरटिया गांव में लगने वाले बाजार में गए थे. वहां से शाम को सभी गांव लौट रहे थे. नाव में कुल 22 लोग सवार थे. इनमें कई बच्चे भी थे. शाम को 6 बजे के करीब नाव लकड़ी के किसी टुकड़े से टकराने के बाद नदी में पलट गई. आनन-फानन में 13 लोगों को बचा लिया गया था. बाकी के 9 लोग डूब गए थे. इसके बाद देर शाम को एक बुजुर्ग महिला का शाव बरामद किया गया था. हादसे के बाद सीएम योगी ने भी घटना का संज्ञान लिया था.बता दें कि कतर्नियाघाट के ट्रांस गेरुआ के जंगल में बसे भरथापुर गांव को भारत का आखिरी गांव माना जाता है. इस गांव के बाद ही नेपाल शुरू हो जाता है. यह बहराइच जिले का भी आखिरी गांव है.

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