पुलिस की जिद और जज्बे ने जोड़ा टूटा रिश्ता, कोर्ट ने भी की तारीफ

37 दिन की खोज के बाद दिल्ली पुलिस ने मानसिक रूप से अक्षम महिला का परिवार से कराया मिलन

नई दिल्ली: दिल्ली के सीमापुरी थाने की पुलिस ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए एक 21 वर्षीय मानसिक रूप से अक्षम महिला को 37 दिन की अथक मेहनत के बाद उसके परिवार से मिला दिया। यह पुनर्मिलन 7 अक्टूबर को इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज (IHBAS) अस्पताल में हुआ, जहां महिला 4 सितंबर से इलाजरत थी।

शाहदरा जिले के डीसीपी प्रशांत गौतम ने बताया कि 1 सितंबर को सीमापुरी थाने में डीडी नंबर 21ए के तहत सूचना मिली कि एक गर्भवती महिला, जो मानसिक रूप से अक्षम थी और मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, रानीखेड़ा की रहने वाली थी, सीमापुरी क्षेत्र में लावारिस हालत में मिली। मामले को डब्ल्यूएसआई अनुपम को सौंपा गया, जिन्होंने तुरंत महिला को जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया। 4 सितंबर को जीटीबी से डिस्चार्ज होने के बाद, महिला को माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, जिसने उसे IHBAS में भर्ती करने और उसकी मानसिक स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।

पुलिस ने महिला के परिवार का पता लगाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। हेड कांस्टेबल अंकु और कांस्टेबल राज को मध्य प्रदेश के रानीखेड़ा भेजा गया, लेकिन वहां कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद, महिला की जानकारी दो प्रमुख समाचार पत्रों, में प्रकाशित की गई। 7 सितंबर को IHBAS से सूचना मिली कि महिला ने एक प्रीमेच्योर बच्ची को जन्म दिया, जिसे SDN अस्पताल में भर्ती कराया गया। दुर्भाग्यवश, बच्ची का निधन हो गया, और उसका शव जीटीबी अस्पताल में 48 घंटे के लिए सुरक्षित रखा गया।

पुलिस ने हार नहीं मानी। अंकुश और राज को दोबारा मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम भेजा गया। वहां स्थानीय भिखारियों ने महिला को पहचान लिया। इसके बाद, पुलिस ने क्षेत्र में पोस्टर चस्पा किए और आखिरकार महिला के परिवार का पता लगा लिया। 7 अक्टूबर को परिवार को IHBAS लाया गया, जहां महिला का अपने परिजनों से मिलन हुआ।

न्यायालय ने की प्रशंसा

न्यायालय ने 7 अक्टूबर के अपने आदेश में सीमापुरी थाने के SHO, जांच अधिकारी एसआई अनुपम और हेड कांस्टेबल अंकुश की संवेदनशीलता और समर्पण की सराहना की। न्यायालय ने डीसीपी शाहदरा को आदेश की प्रति भेजकर अधिकारियों को उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत करने का निर्देश दिया।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More