प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री और वीवीआईपी सिक्यॉरिटी करेंगे फोर वील डे ऐंड नाइट सर्विलांस रोबोट, जानिए कैसे करता है काम

राष्ट्रीय जजमेंट

लखनऊ: पीएम, सीएम अतिविशिष्ट लोगों की सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए चार पहिया डे ऐंड नाइट सर्विलांस रोबोट खरीदे जाएंगे। सुरक्षा मुख्यालय ने इस संबंध में गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा था, जिसे मंजूर करते हुए गृह विभाग ने दो रोबॉट के लिए एक करोड़ 60 लाख 48 हजार रुपये जारी कर दिए है।इसके अलावा सुरक्षा मुख्यालय ने बम निरोधक दस्तों के लिए बॉम्ब सूट खरीदने का प्रस्ताव भी भेजा था, जिसे शासन ने मंजूर कर लिया है। एक बॉम्ब सूट की लागत 48 लाख 81 हजार रुपये है। सुरक्षा मुख्यालय 11 बॉम्ब सूट खरीदने के लिए पांच करोड़ 36 लाख 91 हजार रुपये खर्च करेगा। शासन ने इन बॉम्ब सूट को खरीदने के लिए जरूरी धनराशि जारी कर दी है।सुरक्षा और निगरानी के अत्याधुनिक चार पहियों वाला डे-नाइट सर्विलास रोबोट विकसित किया गया है। यह अतिसंवेदनशील क्षेत्रों की 24 घंटे निगरानी सुनिश्चित करता है। यह रोबॉट रिमोट कंट्रोल व मैनुअल दोनों तरह से सचालित होता है। इसमें उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे, थर्मल इमेजिंग, 360 डिग्री व्यू और उन्नत सेंसर लगे होते है। यह रोबोट दिन और रात दोनों समय में स्पष्ट वीडियो और ऑडियो डेटा प्रसारित करता है, जिससे दूरस्थ संचालन संभव होता है। इसकी चार पहियों वाली संरचना इसे किसी भी सतह पर आसानी से चलने योग्य बनाती है।यूपी में लखनऊ समेत छह जेलों के परिसरो में कैदियों द्वारा मोबाइल फोन के अवैध उपयोग को रोकने के लिए अब कारागार विभाग एक नई तकनीक टावर हार्मोनियस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम (एचसीबीएस) का इस्तेमाल करने जा रहा है। मॉडल के रूप में इसे पहले छह जेलों में अपनाया जाएगा। इसके बाद इसे प्रदेश की अन्य जेलों में भी लगाया जाएगा। लखनऊ के अलावा कासगंज, चित्रकूट, आजमगढ़, अम्बेडकरनगर और बरेली के केंद्रीय कारागार-2 में टावर हार्मोनियस कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम लगाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, जिसे मजूर कर लिया गया है। इन छह जेलों में ट-एचसीबीएस लगाने में 9 करोड़ 14 लाख 74 हजार रुपये की लागत आएगी।क्या होता है टी-एचसीबीएसयह प्रणाली एक विशेष प्रकार का सेल्युलर नेटवर्क टावर है, जो जेल परिसर में अन्य टावरो की तुलना में अधिक शक्तिशाली सिग्नल प्रसारित करता है। इसके प्रभाव से आस-पास के सभी मोबाइल फोन इसी टावर से जुड़ जाते है, लेकिन कॉल, मेसेज और इंटरनेट सेवाएं बाधित हो जाती है। इस तकनीक का उद्देश्य कैदियों द्वारा बाहरी दुनिया से अवैध सपर्क को रोकना है। यह 2G, 3G, 4G और 5G नेटवर्क को भी प्रभावित कर सकता है।हालांकि मोबाइल में सिग्नल दिखता है, लेकिन सचार संभव नहीं होता। टी-एचसीबीएस के कुछ दुष्प्रभाव भी सामने आए है। जेल के आसपास रहने वाले नागरिकों को नेटवर्क की समस्या, इंटरनेट बाधा और ऑनलाइन सेवाओं में परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार ई-कॉमर्स डिलिवरी और डिजिटल भुगतान भी प्रभावित होते है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More