कोकीन से शुरू, फर्जी वीजा तक पहुंची जांच, पूरे रैकेट का भंडाफोड़: चार नाइजीरियाई गिरफ्तार

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की दक्षिण जिला इकाई ने एक सनसनीखेज कार्रवाई में फर्जी वीजा और पासपोर्ट रैकेट का पर्दाफाश करते हुए चार नाइजीरियाई नागरिकों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान नवाचुक्वु बेंजामिन (33), इमैनुएल इफियानिचुक्वु (34), पॉल ओलिसमेका (37) और प्रीशियस ओसासेरे (38) के रूप में हुई है। ये सभी 2017 से 2020 के बीच भारत में अवैध रूप से रह रहे थे। पुलिस ने इनके कब्जे से 6 फर्जी पासपोर्ट/वीजा, एक लैपटॉप, एक कलर प्रिंटर, तीन पेन ड्राइव, सात मोबाइल फोन, दो बैंक पासबुक, पांच एटीएम/डेबिट कार्ड और 17,000 रुपये नकद बरामद किए हैं। इस रैकेट का खुलासा नशे की तस्करी के एक मामले की जांच के दौरान हुआ, जो अब ड्रग तस्करी और ऑनलाइन ठगी के बड़े नेटवर्क से जुड़ा पाया गया है।

मामले की शुरुआत: कोकीन से फर्जी वीजा तक 

यह सनसनीखेज खुलासा 10 सितंबर को शुरू हुआ, जब दक्षिण जिला पुलिस की स्पेशल स्टाफ ने छतरपुर इलाके से दो अफ्रीकी नागरिकों—बेंजामिन इजुचुक्वु (43, नाइजीरिया) और कौलीबाली मरियम (29, कोट डी आइवर)—को 355 ग्राम उच्च गुणवत्ता वाली कोकीन के साथ गिरफ्तार किया था। यह मामला मेहरौली थाने में एनडीपीएस एक्ट की धारा 21/18/25/29 के तहत दर्ज हुआ। जांच के दौरान इनके पासपोर्ट में वैध दिखने वाली वीजा स्टैंप मिली, लेकिन गहन जांच में ये फर्जी पाए गए। पूछताछ में दोनों ने खुलासा किया कि उनके फर्जी वीजा बुरारी-संत नगर में रहने वाले एक नाइजीरियाई नागरिक नवाचुक्वु बेंजामिन ने तैयार किए थे।

इस सूचना के आधार पर पुलिस ने तकनीकी निगरानी और खुफिया जानकारी का सहारा लिया। बुरारी में छापेमारी कर चारों आरोपियों को धर दबोचा गया। उनके पास से बरामद सामान ने इस रैकेट की गहराई को उजागर किया। पुलिस अब इस नेटवर्क के पीछे के आपूर्तिकर्ताओं, फर्जी टेम्पलेट निर्माताओं और लाभार्थियों की तलाश में जुटी है, जो ड्रग तस्करी और अवैध प्रवास जैसे अपराधों में शामिल हो सकते हैं।

रैकेट का मॉडस ऑपरेंडी: फर्जी वीजा से लेकर ऑनलाइन ठगी तक

मुख्य सरगना नवाचुक्वु बेंजामिन ने 2017 में अवैध “डंकी रूट” के जरिए भारत में प्रवेश किया था। उसका वीजा समाप्त होने के बाद वह अवैध रूप से भारत में रह रहा था। उसने फर्जी वीजा बनाने का धंधा शुरू किया, जिसमें वह पासपोर्ट स्कैन करता, डिजिटल रूप से फर्जी वीजा पेज बनाता और उन्हें पासपोर्ट में चिपकाकर वैध दिखाने की कोशिश करता। प्रत्येक वीजा के लिए वह 2,000 से 3,000 रुपये वसूलता था। इससे न केवल वह खुद अवैध रूप से भारत में रह रहा था, बल्कि अन्य अफ्रीकी नागरिकों को भी अवैध प्रवास में मदद कर रहा था।

इतना ही नहीं, बेंजामिन ने ऑनलाइन ठगी का एक समानांतर रैकेट भी चला रखा था। वह यूरोपीय लोगों के फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाकर भारतीय नागरिकों को निशाना बनाता था। ठगी का तरीका बेहद चालाकी भरा था—वह कस्टम में सामान फंसने की झूठी कहानियां गढ़ता और पीड़ितों से हैक किए गए बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवाता। ये पैसे बाद में एटीएम के जरिए निकाले जाते या कई खातों में हस्तांतरित कर ट्रेल छिपाई जाती थी। यह दोहरा अपराध—फर्जी वीजा और ऑनलाइन ठगी—नशे की तस्करी और अवैध प्रवास को बढ़ावा देने का जरिया बन गया।

रैकेट का मास्टरमाइंड नवाचुक्वु बेंजामिन (33) बुरारी के चंद्रा विहार में रहता था। 2017 से भारत में अवैध रूप से रह रहा है। इमैनुएल इफियानिचुक्वु (34) 2020 से भारत में अवैध रूप से रह रहा है। पॉल ओलिसमेका (37) 2020 से और प्रीशियस ओसासेरे (38) नाइजीरियाई महिला, 2020 से अवैध रूप से भारत में रह रही थी। सभी दिल्ली के बुरारी इलाके में रह रहे थे।

15 दिनों में दक्षिण जिला पुलिस की बड़ी कामयाबी

पिछले 15 दिनों में दक्षिण जिला पुलिस ने नशे और अपराध के खिलाफ अभियान तेज किया है। इस दौरान तीन बड़े मामले दर्ज किए गए, जिनमें कुल 8 लोग गिरफ्तार हुए। बरामदगी में 73.804 किलो गांजा, 354.8 ग्राम कोकीन और एक टीएसआर (ऑटो) शामिल है। अन्य मामलों में साकेत और अंबेडकर नगर थानों में गांजा तस्करी के आरोप में छह लोग गिरफ्तार किए गए।

दक्षिण जिला पुलिस उपायुक्त अंकित चौहान ने कहा, “हमारी टीम ने संगठित अपराध के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। यह कार्रवाई नशे, फर्जीवाड़े और अवैध प्रवास के खिलाफ हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।” उन्होंने बताया कि शामिल पुलिस कर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा। पुलिस अब इस रैकेट के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन, ड्रग तस्करों और वित्तीय चैनलों की जांच कर रही है ताकि पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके।

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