पटाखा बैन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान: दिल्ली में एलीट क्लास, बाकी भारत भूल गए?’, साफ हवा हर भारतीय का हक

नई दिल्ली: दिवाली की रौनक पटाखों की चमक से जगमगाती है, लेकिन प्रदूषण की काली परत इस खुशी पर भारी पड़ रही है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लगे सालभर के बैन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एक ऐसा बयान दिया, जो पूरे देश की नीतियों को हिला सकता है। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अगुवाई वाली बेंच ने साफ शब्दों में कहा- प्रदूषण से लड़ाई सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं! अगर पटाखों पर बैन लगाना है, तो यह पूरे भारत में लागू होना चाहिए। ‘दिल्ली में एलीट क्लास रहता है, इसलिए यहां स्पेशल पॉलिसी?’- सीजेआई का यह तीखा सवाल सुनते ही कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया।

सुनवाई एम.सी. मेहता की उस पुरानी याचिका पर हो रही थी, जिसमें दिल्ली का हवा प्रदूषण रोकने के लिए सख्त कदम उठाए गए थे। अप्रैल 2025 के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री, निर्माण, भंडारण और परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। पटाखा व्यापारियों ने अपनी आजीविका का रोना रोते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वे बोले- लाखों परिवारों का पेट इससे चलता है, ग्रीन पटाखों को भी छूट दो। लेकिन बेंच ने पलटकर पूछा- अगर एनसीआर के लोग साफ हवा के हकदार हैं, तो अमृतसर, मुंबई या कोलकाता के लोग क्यों नहीं? सीजेआई गवई ने अपनी अमृतसर यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, ‘पिछली सर्दी में वहां प्रदूषण दिल्ली से भी बदतर था। क्या हम सिर्फ राजधानी को बचाएंगे?’

बेंच में जस्टिस के. विनोद चंद्रन भी थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि धारा 21 के तहत साफ हवा हर भारतीय का मौलिक अधिकार है। ‘हम कोई पॉलिसी सिर्फ एलीट सिटी के लिए नहीं बना सकते। अगर बैन है, तो देशव्यापी हो।’ अमीकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने भी पक्ष रखा कि एलीट क्लास प्रदूषण होने पर शहर छोड़ लेता है, लेकिन आम आदमी फंस जाता है। केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनईईआरआई) ग्रीन पटाखों पर अध्ययन कर रहा है। कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) से विस्तृत रिपोर्ट मांगी और मामला 22 सितंबर के लिए टाल दिया- यानी दशहरा-दिवाली से ठीक पहले!

दिल्ली का पटाखा बैन कैसे बना सालभर का सिरदर्द

दिसंबर 2024 में दिल्ली सरकार ने पटाखों पर सालभर का बैन लगाया। जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे यूपी-हरियाणा के एनसीआर इलाकों तक फैला दिया। अप्रैल में ‘ग्रीन पटाखों’ को भी नो एंट्री बोल दी, क्योंकि अध्ययन में पाया गया कि ये भी पर्याप्त साफ नहीं। मई में राज्यों को पर्यावरण संरक्षण एक्ट के तहत सख्ती बरतने का आदेश मिला। लेकिन व्यापारी चुप नहीं बैठे। वे कहते हैं- सिक्किम-तमिलनाडु का उद्योग चौपट हो रहा है। कोर्ट ने अवैध बिक्री पर नकेल कसने को कहा, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या दिवाली 2025 बिना पटाखों की गुजरेगी?

यह फैसला पर्यावरण न्याय की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। एक तरफ स्वास्थ्य और साफ हवा की लड़ाई, दूसरी तरफ परंपरा और रोजगार का सवाल। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पैन-इंडिया बैन लगा, तो वैकल्पिक रसायनों पर रिसर्च तेज होगा। लेकिन फिलहाल, दिल्लीवासी लेजर शो और ड्रोन लाइट्स की ओर रुख कर रहे हैं।

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