ईडी ने ‘छांगुर बाबा’ के खिलाफ जांच के सिलसिले में उत्तर प्रदेश और मुंबई में छापे मारे

राष्ट्रीय जजमेंट

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘छांगुर बाबा’ से संबंधित कथित धर्मांतरण गिरोह से जुड़े धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश और मुंबई में कई जगहों पर छापे मारे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उत्तर प्रदेशके बलरामपुर जिले में 12 और मुंबई में दो ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक टीम की मौजूदगी में ईडी के अधिकारियों ने सुबह करीब पांच बजे छापेमारी शुरू की। संघीय जांच एजेंसी ने हाल में जलालुद्दीन उर्फ ‘छांगुर बाबा’ की गतिविधियों और वित्तीय विवरणों की जांच के लिए एक मामला दर्ज किया है।
‘छांगुर बाबा’ उत्तर प्रदेश में संचालित धर्मांतरण गिरोह का कथित सरगना है। बलरामपुर जिले के निवासी जलालुद्दीन का असली नाम करीमुल्ला शाह है। जलालुद्दीन, उसका बेटा महबूब और उसके साथियों नवीन उर्फ जमालुद्दीन तथा नीतू उर्फ नसरीन को हाल में उत्तर प्रदेश आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था और वे फिलहाल जेल में बंद हैं।इससे पहले, ईडी ने कहा था कि जलालुद्दीन ने अपने और अपने साथियों से जुड़े 40 बैंक खातों में लगभग 106 करोड़ रुपये जमा किए, जिनमें से अधिकांश राशि पश्चिम एशिया से मिली थी। एजेंसी ने आरोप लगाया कि जलालुद्दीन ने एक बड़ानेटवर्क बनाया हुआ था जो बलरामपुर स्थित चांद औलिया दरगाह के परिसर से संचालित होता था। इसी जगह पर वह नियमित रूप से भारतीय और विदेशी नागरिकों की बड़ी सभाएं आयोजित करता था।
इसे भी पढ़ें: ‘पहलगाम आतंकी हमले का बदला लिया जाए, ऑपरेशन सिंदूर जारी रहना चाहिए’, ओवैसी की केंद्र सरकार से मांगइसके अलावा छांगुर बाबा धर्मांतरण रैकेट मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, उत्तर प्रदेश सरकार अपने ही चार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रही है। एक एडीएम, दो सर्किल ऑफिसर और एक इंस्पेक्टर, जो सभी 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में तैनात थे, जाँच के घेरे में हैं। हालाँकि स्पेशल टास्क फोर्स ने पहले एडीएम और इंस्पेक्टर को चिह्नित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब, जाँच का दायरा बढ़ रहा है, और दो तहसीलदारों पर भी जाँच की तलवार लटक सकती है।आरोपों में अधिकारियों द्वारा नकद और लग्जरी कारें लेना, दहेज में 5 करोड़ रुपये का शोरूम लेना और एक सरकारी तालाब के लिए ज़मीन का फर्जी सौदा शामिल है। तालाब के अवैध भराव के बारे में एडीएम को दी गई एक नगरपालिका अधिकारी की चेतावनी को कथित तौर पर नज़रअंदाज़ कर दिया गया। यह मामला अब धर्मांतरण से आगे बढ़कर रिश्वतखोरी और ज़मीन हड़पने तक पहुँच गया है, जिससे “व्यवस्था में कितनी गहरी सड़ांध है, इस बारे में गंभीर सवाल” उठ रहे हैं।

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