बीजेपी के लिए इस बार इतना आसान नही सत्ता की राह

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यूपी का गढ़ जीतने के लिए हर पार्टी के खेमे में रणनीतियों के जाल बुने जा रहे हैं। इस बीच सबसे ज़्यादा दबाव बीजेपी पर है. उसके पास खोने के लिए बहुत कुछ है।
पिछले लोकसभा चुनाव में उसने ना सिर्फ यूपी में रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन किया था बल्कि विधानसभा चुनाव में अपने दम पर सरकार बनाकर दिखा दिया था कि उसे जटिल यूपी को साधना आ गया है।
यूपी को दो बार आसानी से फतह कर लेने वाली बीजेपी के लिए इस बार सब उतना आसान नहीं दिख रहा है। केंद्र से लेकर राज्य तक में उसकी सरकार है। राज्य में उम्मीदवारों की किस्मत तय करने में सबसे बड़ी भूमिका निभानेवाले गन्ना किसान परेशान है।
10 हजार करोड़ रूपए का भुगतान अब तक फंसा हुआ है जो काफी पहले तक किसानों के खातों में पहुंच जाना चाहिए था. इसमें से 45%  तो आठ में से उन छह लोकसभा क्षेत्रों का है जहां पहले चरण की वोटिंग 11 अप्रैल को होनी है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गन्ना कमिश्नर ऑफिस लखनऊ के हिसाब से 2018-19 के सीज़न (अक्टूबर-सितंबर) में मिलों ने 24,888.65 करोड़ रुपए का गन्ना खरीदा था। ये खरीद राज्य के तय रेट यानि 315 रुपए प्रति क्विंटल से 325 रुपए प्रति क्विंटल पर हुई थी।
कायदे से गन्ना मिलों को कुल 22,175.21 करोड़ रुपए गन्ना खरीदने के 14 दिनों के भीतर बांट देने थे लेकिन योगी सरकार की दिखावटी सख्ती के बावजूद हुआ कुछ नहीं। आधा पैसा ही किसानों तक पहुंचा। अब आधा बकाया फंसा है और किसान योगी का मुंह उसी पुरानी बेचारगी से ताक रहा है जैसी बेचारगी में रहने के लिए वो सदा से मजबूर रहा।
सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है कि बकाये का आधा उन संसदीय क्षेत्रों में बंटना था जहां सबसे पहले मतदान होना है. मेरठ, बागपत, कैराना, मुज़फ्फरनगर, बिजनौर, सहारनपुर पश्चिम यूपी के ऐसे ही ज़िले हैं।
इसके अलावा गाज़ियाबाद और गौतमबुद्धनगर के किसान भी रकम की बाट जोह रहे हैं. इन तमाम सीटों पर 2014 में कमल का परचम फहरा था. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने शानदार सफलता हासिल की थी।
उस चुनाव में बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में एलान किया था कि उनकी सरकार बनने के बाद सिर्फ 14 दिनों के अंदर गन्ना किसानों का भुगतान हुआ करेगा. अब सरकारी आंकड़े ही इस एलान का सच बयान कर रहे हैं।
सीएम आदित्यनाथ पर दारोमदार है कि वो अपने सूबे में बीजेपी को नुकसान ना होने दें लेकिन गन्ना किसानों की नाराज़गी का कोई तोड़ उन्हें जल्द निकालना पड़ेगा। पहले भी किसानों की नाराज़गी के नजले ने कई सरकारें यूपी में ध्वस्त की हैं, अगली बारी कहीं उन्हीं की ना हो!

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