पहलवानों का चयन करने वाली कोई संस्था नहीं, इससे ज्यादा दुख की बात नहीं हो सकती: दिल्ली उच्च न्यायालय

राष्ट्रीय जजमेंट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं के लिए पहलवानों का चयन करने वाली सक्षम संस्था के अभाव में स्थिति इससे ज्यादा ‘दुखदायी’ नहीं हो सकती।

मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि विश्व कुश्ती संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेस्लिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए केवल स्वयं से मान्यता प्राप्त भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) जैसी राष्ट्रीय संस्था द्वारा चुने गए खिलाड़ियों को ही स्वीकार करती है।

हालांकि पीठ ने पाया कि ना तो भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने महासंघ के मामलों के संचालन के लिए तदर्थ समिति को बहाल किया और ना ही केंद्र ने पिछले साल के उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के आदेश के अनुसार महासंघ के निलंबन को जारी रखने को लेकर कोई निर्णय लिया।

अदालत पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान की याचिका पर पारित एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ डब्ल्यूएफआई की अपील पर सुनवाई कर रही है।

पीठ ने कहा, ‘‘तदर्थ समिति की बहाली ना होने तथा आज की तारीख में निलंबन आदेश के अस्तित्व में होने के कारण कोई सक्षम संस्था नहीं है जिसे टीम के चयन का कार्य सौंपा जा सके जिससे कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पहलवानों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। जहां तक ​​खेल और खिलाड़ियों के हित का सवाल है, इससे अधिक दुखद स्थिति नहीं हो सकती।’’

एकल न्यायाधीश ने 16 अगस्त 2024 को अपने अंतरिम आदेश में डब्ल्यूएफआई के संचालन के लिए आईओए की तदर्थ समिति के अधिकार को बहाल करते हुए कहा था कि जब तक खेल मंत्रालय के निलंबन आदेश को वापस नहीं लिया जाता तब तक महासंघ के मामलों का संचालन तदर्थ समिति द्वारा किया जाना आवश्यक है।

डब्ल्यूएफआई के वकील ने तर्क दिया कि एकल न्यायाधीश के आदेश के परिणामस्वरूप भारतीय पहलवान कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाए। साथ ही इस महीने के अंत में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप में भाग लेने की उनकी संभावनाएं भी कम हो गई हैं क्योंकि नाम भेजने की समय सीमा चार मार्च को समाप्त हो गई थी और अब यूडब्ल्यूडब्ल्यू से समय सीमा में विस्तार की मांग की गई है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम केवल भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं। चार मार्च बीत चुका है। 25 (मार्च) को टूर्नामेंट है। चयन में भी समय लगेगा। समाधान निकालें।’’ इसके बाद अदालत ने डब्ल्यूएफआई की अपील पर सुनवाई 11 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी क्योंकि दोनों पक्ष इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने में विफल रहे। केंद्र के वकील ने कहा कि अधिकारी 10 मार्च तक यह तय कर लेंगे कि निलंबन जारी रखना है या नहीं।

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