विधानसभा चुनाव के लिए बारामती सीट पर मतदाताओं का ‘साहेब’ और ‘दादा’ दोनों से जुड़ाव, मुश्किल हो रहा समर्थन का फैसला

राष्ट्रीय जजमेंट

विधानसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र में आम आरोप-प्रत्यारोप, मुद्दे-वादे से कहीं दूर है पुणे जिले की बारामती विधानसभा सीट। इस सीट पर सभी दलों में न कोई स्पर्धा दिखती है और न ही जमीनी प्रचार में आगे निकलने की होड़। यहां प्रदेश की राजनीतिक के दिग्गज पवार परिवार के दो सदस्यों के बीच चुनावी जंग है। बारामती जैसा सुविधाओं वाला बस स्टैंड महाराष्ट्र के बड़े-बड़े शहरों में नहीं है। प्रतीक्षालय में स्थानीय युवक कन्हैया से पूछा यहां कौनसे दल का जोर है।वह बोले – यहां दलों के बीच मुकाबला नहीं है। एक ही परिवार के दो सदस्य खड़े हैं। साहेब (शरद पवार) के पोते युगेन्द्र पवार और साहेब के भतीजे ‘दादा’ (डिप्टी सीएम अजित पवार) चुनाव लड़ रहे हैं। साहेब और दादा दोनों ने खूब विकास किया है। पहले दोनों साथ ही थे, हम दोनों को बराबर प्यार करते हैं इसलिए फैसला नहीं कर पा रहे कि साहेब के प्रतिनिधि युगेन्द्र और दादा में से वोट किस दें। इसलिए अनेक परिवारों के आधे-आधे सदस्य दोनों को वोट डालेंगे। मेरे परिवार में कुल तीन वोट हैं। इनमें से एक अजित और एक युगेन्द्र के पक्ष में जाएगा। मैं वोट नहीं डालूंगा क्योंकि संतुलन बिगड़ जाएगा।पहली बार प्रत्याशी मतदाताओं की परीक्षा ले रहे चाय की दुकान पर चुनावी चर्चा छेड़ी तो कांबले दिलीप ने कहा, यहां कोई मुद्दा नहीं है। शरद पवार और अजित पवार ने विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब दोनों अलग-अलग हैं तो मतदाताओं की परीक्षा हो रही है। वसंत गायकवाड़ ने कहा, शरद पवार अपनी उम्र का हवाला देकर गढ़ को बचाने की कोशिश में है। वहीं अजित पवार भी वर्षों पुराने रिश्ते का हवाला देकर वोट मांग रहे हैं। यहां किसका ‘इमोशनल कार्ड’ कितना मजबूत है, उसी आधार पर जीत-हार का फैसला होगा।खासदार में पहले साहेब की बात रखी, अब दादा की बारी इमोशनल जुड़ाव के बीच दोनों प्रत्याशियों से मतदाता संतुलन का अपना मत भी दे रहे हैं। किसे वोट देंगे? पूछने पर तुकाराम निकालजे ने कहा, लोकसभा में साहेब की प्रतिष्ठा के लिए सुप्रिया सुले को चुना। अब दादा की इज्जत भी तो रखनी होगी। दादा जीते तो सीएम बन सकते हैं, परिवार तो एक ही है। शरद पवार ने बारामती से ही चुनावी राजनीति शुरू की थी। बाद में यह परंपरागत सीट भतीजे अजित को दे दी। अजित पवार यहां से लंबे समय से विधायक हैं। एनसीपी के टुकड़े होने के बाद यह पहला चुनाव है। शरद पवार ने अजीत पवार के भाई के बेटे युगेंद्र पवार को अजित के सामने उतारा है लेकिन घड़ी का चुनाव चिन्ह अजित के पास है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More