मुंबई से सटे महाराष्ट्र के मिनी उत्तर प्रदेश, नालासोपारा विधानसभा सीट पर रोचक होगा चुनावी मुकाबला

राष्ट्रीय जजमेंट

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सबसे हॉट सीट में शामिल नालासोपारा विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला काफी रोचक होगा। किस पार्टी की दावेदारी मजबूत रहेगी, यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल महायुति व बहुजन विकास आघाडी (बविआ) के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। महाआघाडी व प्रहार जनशक्ति के उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं, लेकिन असली मुकाबला महायुति व बविआ के बीच ही होगा। बविआ के क्षितिज ठाकुर तीन बार चुनाव जीतकर हैट्रिक लगा चुके हैं। हालांकि इस बार यह चुनाव उनके लिए आसान नहीं रहेगा।सभी दलों की उत्तर भारतीयों को साधने की कोशिशपालघर जिले के तहत आने वाला नालासोपारा उत्तर भारतीयों का गढ़ माना जाता है, इसलिए इसे मिनी उत्तर प्रदेश भी कहा जाता है। यहां से महायुति के उम्मीदवार राजन नाईक के लिए डोर टू डोर प्रचार शुरू है। उत्तर भारतीय उम्मीदवारों को साधने के लिए बीजेपी ने गायक से सांसद बने मनोज तिवारी का रोड शो आयोजित किया। पार्टी के दिग्गज नेता भी रोड शो और सभाएं कर रहे हैं। वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभाएं होने की संभावना है।महिला वोटर्स की होगी अहम भूमिका2019 के विधानसभा चुनाव में महायुति के उम्मीदवार प्रदीप शर्मा को 46 हजार वोट से पराजित होना पड़ा था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में महायुति के उम्मीदवार डॉ. हेमंत सावरा को 1 लाख 36 हजार वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव के बाद नालासोपारा निर्वाचन क्षेत्र में 41 हजार मतदाता बढ़े हैं। इस विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 5,96,995 हो गई है। इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 2,75,070 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 3,21,807 है। यहां 121 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं। महिला वोटर्स इस बार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।अधूरे विकास से पार पाने की चुनौतीइस चुनाव में नालासोपारा शहर में कई बड़े मुद्दे हैं, जो कई साल से हल नहीं हुए हैं। यहां ट्रैफिक ज़ाम की समस्या गंभीर है। सड़कें भी खराब हैं, जिसकी वजह से लंबा ट्रैफिक ज़ाम लगता है। फेरीवालों की समस्या अब तक हल नहीं हो पाई है। मार्केट जोन नहीं होने से मजबूरन फेरीवाले सड़कों पर कब्जा किए बैठे हैं। सबसे भीड़भाड़ वाले शहर नालासोपारा में ईस्ट से वेस्ट की ओर आने-जाने के लिए एकमात्र फ्लाईओवर है, जो काफी संकरा है। इस फ्लाईओवर पर हमेशा वाहनों की लंबी कतारें देखी जाती हैं।अलकापुरी व सेंट्रल पार्क का प्रस्तावित फ्लाईओवर भी नहीं बन पाए हैं। साथ ही अतिक्रमण किए जाने से सड़क पर पैदल चलना भी दूभर हो गया है। इसके अलावा, छह लाख वोटरों वाले इस विधानसभा क्षेत्र में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं वाला एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है। हालांकि बविआ विकास के इन्हीं मुद्दे पर हमेशा से चुनाव लड़ती रही है।चुनावी फैक्टर बनेगा 41 अवैध इमारतों का मुद्दानालासोपारा में विवादित 41 अवैध इमारतों का मुद्दा पूरे राज्य में चर्चा में है। इन इमारतों में लगभग तीन हजार परिवार रहते हैं, जो पिछले दस साल से मतदान कर रहे हैं। बहुजन विकास आघाडी के पूर्व नगरसेवक सीताराम गुप्ता पर आरोप हैं कि उन्होंने रिजर्व जमीन पर कब्जा कर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण किए और चार-चार मंजिला 41 इमारतें खड़ी कर दीं। हालांकि एक जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने इन अवैध इमारतों को तोड़ने का आदेश दे दिया। कोर्ट के आदेश के बाद यहां के लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि चुनाव तक तोड़ कार्रवाई पर रोक लगाई गई है।

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