‘2051 तक एक मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा असम, इसे कोई नहीं रोक सकता’, हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा दावा

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बार फिर कुछ ऐसा बयान दिया है जिससे सियासी बवाल छिड़ सकता है। उन्होंने दावा किया कि असम में मुस्लिम आबादी हर 10 साल में लगभग 30 प्रतिशत बढ़ रही है, और वे 2041 तक बहुसंख्यक हो जाएंगे। गुरुवार को गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सांख्यिकीय नमूने के अनुसार मुसलमान अब असम की आबादी का 40 प्रतिशत हो गए हैं। उन्होंने साफ तौर पर दावा किया कि 2041 तक असम मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा। यह एक वास्तविकता है और इसे कोई नहीं रोक सकता।इसके साथ ही हिमंता ने कांग्रेस पर भी बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि को रोकने में कांग्रेस की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। यदि राहुल गांधी जनसंख्या नियंत्रण के ब्रांड एंबेसडर बन जाते हैं, तो यह नियंत्रित हो जाएगा क्योंकि समुदाय केवल उनकी बात सुनता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि तथ्यों के सांख्यिकीय प्रक्षेपण के आधार पर, वर्ष 2051 तक असम एक मुस्लिम बहुल राज्य बन जाएगा। उन्होंन कहा कि असम में बढ़ती मुस्लिम आबादी का बयान तथ्यों पर आधारित है, राजनीति पर नहीं।इससे पहले असम सरकार ने गुरुवार को एक कैबिनेट बैठक में असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को रद्द करने का फैसला किया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि आज हमने मुस्लिम विवाह अधिनियम को निरस्त किया और मुस्लिम विवाह पंजीकरण के लिए एक नया कानून लागू करेंगे। बाल विवाह 80% अल्पसंख्यक समुदाय में होता है, और 20% अन्य समुदायों में। लेकिन हमारे लिए यह समस्या धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक है। जल्द ही राज्य में बाल विवाह को खत्म करने का प्रयास किया जाएगा।वहीं, सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भाजपा नेता ने आगे बताया कि आज असम कैबिनेट की बैठक में हमने असम निरसन विधेयक 2024 के माध्यम से असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है। सरकार ने बताया कि विवाह और तलाक के पंजीकरण में समानता लाने के लिए, राज्य मंत्रिमंडल ने असम निरसन विधेयक, 2024 को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 और असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण नियम, 1935 को निरस्त करना है।

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