बीजेपी के सहयोगियों को नहीं भा रहा योगी सरकार का आदेश, जेडीयू के बाद आरएलडी ने भी उठाए सवाल

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ लगाने और मलिकों का नाम लिखाने के आदेश को लेकर सियासत जारी है। योगी सरकार के ये आदेश भाजपा के सहयोगियों को भी रास नहीं आ रहा है। नीतीश कुमार की जदयू पहले ही सवाल खड़ी कर चुकी है, अब जयंत चौधरी की रालोद ने भी सवाल खड़े किए हैं। योगी सरकार के आदेश पर रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि गांधी जी, चौधरी चरण सिंह और अन्य महानुभावों ने धर्म और जाति को पीछे रखने की बात कही है। अब नेता राजनीति में धर्म और जाति को आगे बढ़ा रहे हैं। एएनआई के मुताबिक त्रिलोक त्यागी ने कहा कि मुझे लगता है कार्रवाई सही नहीं है। आप सड़क पर ठेलों पर किसी से अपना नाम क्यों लिखवाते हैं? उन्हें काम करने का अधिकार है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह परंपरा बिल्कुल गलत है। यह ग्राहक पर निर्भर है, वे जहां चाहें वहां से खरीदारी कर सकते हैं। मैं राजनेताओं से पूछना चाहता हूं – क्या शराब पीने से आप धार्मिक रूप से भ्रष्ट नहीं हो जाते? क्या ऐसा तभी होता है जब आप मांस खाते हैं? तो फिर शराब पर रोक क्यों नहीं है? वे शराब के बारे में क्यों नहीं बोलते? क्योंकि व्यापार करने वालों की सांठगांठ है, यह ताकतवर लोगों का खेल है। ये छोटी-छोटी दुकानें गरीबों द्वारा लगाई जाती हैं। तो आप उन पर उंगली उठा रहे हैं। मैं मांग करूंगा कि शराब पर प्रतिबंध लगाया जाये। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि इससे भी बड़ी (यूपी में) कांवड़ यात्रा बिहार में होती है। वहां ऐसा कोई आदेश प्रभावी नहीं है। लगाए गए ये प्रतिबंध ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का उल्लंघन है, जिसकी बात प्रधानमंत्री करते हैं। उन्होंने कहा कि यह आदेश बिहार, राजस्थान, झारखंड में प्रभावी नहीं है। इसकी समीक्षा हो तो अच्छा रहेगा। बीजेपी नेता मोहसिन रजा ने कहा कि यूपी में कांवड़ यात्रा बड़े पैमाने पर होती है। सीएम योगी आदित्यनाथ जनता की सुरक्षा के प्रति हमेशा सजग रहे हैं।भाजपा नेता ने कहा कि पिछले 7 वर्षों से कांवर यात्रा की सुविधाओं और प्रबंधन को हमेशा बेहतर किया गया है। 8वां साल है… सरकार सुविधाएं और सुरक्षा दे रही है। इसलिए किसी को भी अपना नाम छुपाने की जरूरत नहीं है। यह सौहार्द का संदेश भी देता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस एडवाइजरी का नहीं बल्कि कांवड़ यात्रा का विरोध करना चाह रहा है।

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