दिल्ली के रैन बसेरों में कर्मचारियों को आठ घंटे के वेतन में बारह घंटे करवाया जा रहा है काम, अधिकारियों की मेहरबानी समझे, लापरवाही या सहमति ?

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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली समेत पूरे भारत में चुनाव और गर्मी का पारा बढ़ता जा रहा है। बढ़ते पारे की आड़ में दिल्ली के रैन बसेरों में काम करते कर्मचारियों को आठ घंटे की तनख्वाह में बारह घंटे काम करवा कर आम की तरह चूसा जा रहा हैं। मजबूर कर्मचारियों का फायदा उठाकर समाजसेवा का मुखौटा पहनी संस्थाओं लाखों रुपए की कमाई करती नजर आ रही हैं। इस लूट को जहां आम आदमी बंद आखों से देख पाते हैं वहीं दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के अधिकारियों खुली आंखों से भी नही देख पा रहे हैं ! अब इसे मेहरबानी समझे, लापरवाही या सहमति ?

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज ने 27अप्रैल शनिवार को मध्य दिल्ली के विभिन्न रैन बसेरों में जाकर जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया। 27अप्रैल सुबह 8 बजकर 20 मिनिट से लेकर करीब 10 बजे तक मध्य दिल्ली के नौ रैन बसेरों की जमीनी स्थिती जानी। जिनमे रैन बसेरा कोड नंबर 114, 99, 209, 101, 160, 113, 207, 83 और 221 शामिल हैं। इन रैन बसेरे में ड्युटी करते कर्मचारियों की स्थिति दयनीय है। कही सिर्फ़ एक तो कही दो केयर टेकर से ही रैन बसेरा चल रहा है। न्यूनतम मानदेय भी कर्मचारियों को नही दिया जाता। कर्मचारियों की मजबूरी का फायदा उठाकर कम मानदेय में 12 घंटे काम करवाया जाता है। कही तीन हज़ार रुपए सफाई कर्मचारी को दिया जाता हैं तो कही केयर टेकर खुद ही सफाई करते हैं। बेरोजगार हो जाने के डर के कारण कोई भी कर्मचारी खुलकर बात नही रखता, इन कर्मचारियों की मजबूरी का फायदा उठाकर रैन बसेरे संचालन करती संस्था पर ठेकेदारी देकर मोटी कमाई करने के भी आरोप लगे हैं।

27अप्रैल सुबह 8 बजकर 25 मिनिट को जामा मस्जिद स्थित रैन बसेरा कोड नंबर 114 ओर 99 में एक भी कर्मचारी नही मिला। वहां के निवासी एक महीला ने बताया की बीते कई दिनों से सुबह दोनो रैन बसेरे खाली ही रहते हैं। स्टाफ अपनी मनमर्जी से ड्युटी आते जाते हैं और बोर्ड पर कई स्टाफ के नाम लिखे हैं इनमें से कई लोग आज तक यहां ड्यूटी करने नही आए। इसके बाद दोनों रैन बसेरों में मौजुद ड्युटी रोस्टर चार्ट में देखा तो कुल 6 केयर टेकर दो रिलीवर, 6 गार्ड और 2 सफाई कर्मचारी का नाम एवं मोबाइल नंबर लिखा पाया गया। जिनमें रैन बसेरा कोड नंबर 114 में ड्युटी रोस्टर चार्ट के मुताबिक़ सभी कर्मचारियों की पुष्टि के लिए कॉल किया तो सिर्फ दो केयर टेकर की ही ड्युटी की पुष्टि हुई। बाकी के सभी नंबर बंद या अयोग्य मिले और कोड नंबर 99 में ड्युटी रोस्टर चार्ट के मुताबिक़ सभी कर्मचारियों की पुष्टि के लिए कॉल किया तो सिर्फ दो केयर टेकर और एक गार्ड की ड्युटी की पुष्टि हुई। बाकी के सभी नंबर बंद या अयोग्य मिले।

सुबह 8 बजकर 40 मिनिट को मीना बाजार स्थित रैन बसेरा कोड नंबर 101, 113, 160 और 209 में से सिर्फ 209 ओर 101 में ही केयर टेकर मौजूद मिले बाकी के दोनों रैन बसेरों में एक भी स्टाफ मौजूद नही मिला। यहां की निवासी ने बताया कि सुबह हररोज दो ही स्टाफ ड्यूटी करते है। बाकी के दोनों रैन बसेरे खाली रहते हैं। शाम को तीन स्टाफ ड्यूटी करते हैं और रात को भी तीन ही स्टाफ ड्यूटी करते हैं। एक एक रैन बसेरा बिना स्टाफ को ही चलता रहता हैं। एक ही गार्ड ड्यूटी करता है। 9 बजकर 10 मिनिट को एलएनजेपी अस्पताल के पास स्थित रैन बसेरा नंबर 207 में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि यहां दो स्टाफ ड्यूटी करते हैं। बाकी के जो नाम बोर्ड में हैं उनमें से किसी को भी आज तक नही देखा।

सुबह 9 बजकर 45 मिनिट को रामलीला मैदान के पास स्थित रैन बसेरा कोड नंबर 83 और 221 में जमीनी हकीकत जानी। ड्युटी रोस्टर चार्ट के मुताबिक़ सभी कर्मचारियों की पुष्टि के लिए कॉल किया। रैन बसेरा नंबर 83 में 2 केयर टेकर और एक सफाई कर्मचारी की पुष्टि हुई। जब अन्य एक केयर टेकर को बीती जनवरी के बाद से ही होल्ड पर रखा है। रैन बसेरा नंबर 221 में भी दो स्टाफ की ड्यूटी की पुष्टि हो पाई। दोनों रैन बसेरों के रिलीवर राहुल शर्मा ने बताया की 16 घंटे ड्यूटी करवाने के कारण उसने भी जनवरी के बाद से काम छोड़ दिया हैं।

उपरोक्त नौ रैन बसेरों में कुल मिलाकर 27 केयर टेकर, 4 रिलीवर और 9 सिक्युरिटी गार्ड होने चाहिए पर उक्त पुष्टि में और सूत्रो की माने तो 18 केयर टेकर और सिर्फ़ दो गार्ड से ही नौ रैन बसेरों का संचालन किया जा रहा है। इस लूट को जहां आम आदमी बंद आखों से देख पाते हैं वहीं दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के अधिकारियों खुली आंखों से भी नही देख पा रहे हैं ! अब इसे मेहरबानी समझे, लापरवाही या सहमति ?

उक्त ख़बर लिखने से पहले डूसिब के नाइट शेल्टर के चीफ इंजीनियर वीएस फोनिया, निदेशक राजवीर सिंह, अप निदेशक सरसवत्र और केपी सिंह से भी फ़ोन से संपर्क करने की कोशिश की गई थी। पर एक भी अधिकारी ने फोन नही उठाया। अप निदेशक केपी सिंह से बात हुई पर उन्होंने छुट्टी पर होने का हवाला देकर कोई जवाब नही दिया।

मध्य दिल्ली के कलस्टर एक और दो का मामला दिल्ली शेल्टर होम वर्कर यूनियन बनाम डूसिब बीते महीनों से दिल्ली हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं। इसके बावजूद रैन बसेरों के स्टाफ की स्थिति दयनीय हैं। कलस्टर एक और दो को ठेके पर देने के आरोप की शिकायत पहले से ही डूसिब के पास दर्ज होने के बावजूद अधिकारियों की नाकामी कहे या सहमति ? यदि सूत्रों की माने तो दोनों क्लस्टर में ज्यादातर रैन बसेरों को ठेके पर दिया गया है। एक केयर टेकर से 8 घंटे के वेतन में 12 घंटे काम करवाया जा रहा हैं और सफाई कर्मचारी को तीन हज़ार रुपए प्रति माह नगद देकर कार्य करवाया जा रहा हैं।

मानवाधिकार कार्यकर्ता निर्मल गोराना अग्नि ने कहा कि यदि कोई कम वेतन में ज्यादा काम करवा रहा है तो वो श्रम कानूनों का उल्लघंन हैं और गैर कानूनी हैं। ऐसी गैर कानूनी प्रवृत्ति के लिए डूसिब सीधा ज़िम्मेदार हैं। डूसिब को संबधित संस्था पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। यदि कोई मजदूर को कम वेतन देते है तो उनको बिना डरे डूसिब में शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। डूसिब की निगरानी में इस प्रकार का काम कैसे हो रहा है? डूसिब को भी मिली शिकायत को संज्ञान में लेकर कार्यवाही करनी चाहिए।

 

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