जब किसानों को नक्सलवादी और उग्रवादी बताया गया तो क्या यह अपमान नहीं था: सुरजेवाला

राष्ट्रीय जजमेंट

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ की तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी के ‘मिमिक्री’ किए जाने से जुड़े विवाद की पृष्ठभमि में बुधवार को कहा कि जब आंदोलनकारी किसानों को उग्रवादी तथा नक्सलवादी कहा गया तो क्या यह किसानों का अपमान नहीं था। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसद परिसर में उनकी, तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद द्वारा नकल उतारे जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए उच्च सदन में कहा कि संसद परिसर में उनकी नकल उतारकर किसान समाज और उनकी जाति (जाट) का अपमान किया गया है।

राज्यसभा सदस्य सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘‘जब किसान आंदोलन में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत देश के अन्य राज्यों के किसानों को मोदी सरकार के लोग उग्रवादी, नक्सलवादी और अराजक तत्व बता रहे थे तो क्या ये किसानों का अपमान नहीं था? जब किसान आंदोलन में 700 किसान शहीद हो गए तब संसद में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का एक भी सांसद खड़ा नहीं हुआ था तो क्या ये किसानों का अपमान नहीं था?’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब किसानों को एक भाजपाई ने गाड़ी के नीचे कुचल कर मार डाला, जब दिल्ली के दरवाजे पर उनके रास्ते में कीलें लगा दी गई तो क्या ये किसानों का अपमान नहीं था?

तब किसानों का अपमान क्यों दिखाई नहीं दिया?’’ सुरजेवाला ने कहा, ‘‘जब किसानों की पहलवान बेटियों का भाजपा के सांसद द्वारा यौन शोषण किया गया, जब वे संसद के दरवाजे पर न्याय के लिए सिसकती रही, जब उन्हें भाजपा सरकार की पुलिस द्वारा जूतों के नीचे रौंदा गया, जब उन्हे संसद के बाहर जंतर-मंतर पर सड़कों पर घसीटा गया…

तो जब किसानों का अपमान नहीं हुआ?’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब फौज की सेवा करने वाले किसानों के भाई, बेटे और महिलाएं देश की संसद के बाहर “वन रैंक, वन पेंशन” की गुहार लगा रहे थे तो 15 अगस्त से एक दिन पहले, 14 अगस्त की शाम को उन्हें जंतर-मंतर की सड़कों पर घसीट कर अपमानित किया गया, गिरफ़्तार किया गया तो किसानों की बेइज़्ज़ती नहीं हुई? उन्होंने कहा कि पद की गरिमा जाति से नहीं, कर्तव्य बोध से होती है। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा, ‘‘जब संविधान पर सरकार ही आक्रमण कर रही तो उसका विरोध करना सच्ची देशभक्ति है।

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