भाजपा के आगे क्यों बेदम हो गए भूपेश बघेल ?

राष्ट्रीय जजमेंट

रविवार को चार महत्वपूर्ण राज्यों के चुनावी नतीजे आ गए। इन चुनावी नतीजे में छत्तीसगढ़ ने सभी को चौका दिया। दरअसल, छत्तीसगढ़ को लेकर एग्जिट पोल में ज्यादातर कांग्रेस को बड़ी जीत दिखा रहे थे लेकिन जब चुनावी नतीजे आए तो सभी हैरान रह गए। चुनावी नतीजों में छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जबर्दस्त जीत हासिल की है। भाजपा ने 54 सीटें हासिल की वहीं 75 प्लस का दम भरने वाली कांग्रेस 35 पर सिमट गई। वोट प्रतिशत में भी भाजपा काफी आगे रही। पार्टी को 46.27 प्रतिशत वोट मिले वहीं कांग्रेस 42.23 के साथ दूसरे नंबर पर ही। हालांकि बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर लगातार भाजपा पर बढ़त बना कर रखने वाली भूपेश बघेल की सरकार राजनीतिक पंडितों को भी चौंकाते हुए आखिर चुनाव में कैसे हार गई। भाजपा के जीत के बड़े कारणमोदी फैक्टर करिश्माई और व्यापक रूप से स्वीकार्य नेताओं की कमी के कारण, भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी का चेहरा बनाकर चुनाव में उतरी। ज़मीन पर उनकी लोकप्रियता अभी भी बरकरार है, जिससे प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी उम्मीदवारों को प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से आगे निकलने में मदद मिली है। यही कारण है कि जीत का श्रेय उन्हीं को दिया जा रहा है। महिला मतदाता छत्तीसगढ़ में बीजेपी के पक्ष में जो बात काम आई, वह है महिला मतदाताओं का समर्थन। इस जनसांख्यिकीय पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पार्टी ने घोषणापत्र में विशेष योजनाओं की घोषणा की। बीजेपी ने महतारी वंदन योजना की घोषणा की थी जिसके तहत प्रदेश की सभी को साल में 12000 रुपये देने की बात की गई है। बीजेपी की संगठनात्मक ताकत भाजपा आम चुनाव में अपने पक्ष में रहने वाले कारकों को विधानसभा चुनावों में भी तब्दील करने में सक्षम रही है। भाजपा वोटर्स खासकर महिलाओं को बूथ तक ले जाने में कामयाब रही। अमित शाह लगातार दौर कर बैठक और मीटिंग कर रहे थे। अमित शाह हर विधानसभा सीट की व्यक्तिगत रिपोर्ट ले रहे थे। पन्ना प्रमुखों ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। धान किसानों को बोनस भाजपा ने चुनाव से पहले घोषणा पत्र में कहा था कि अगर वह सत्ता में आती है तो 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीदी होगी। 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी जाएगी। किसानों को एक मुश्त भुगतान किया जाएगा। भाजपा का यह दाव चल गया। विकास और हिन्दुत्व कांग्रेस के अभियान का मुकाबला करने के लिए हिंदुत्व, विकास और कल्याण की राजनीति का संयोजन पेश करने के भाजपा के प्रयासों ने जमीन पर अच्छा काम किया है। इससे कुछ समुदायों के प्रति पार्टी के कथित “तुष्टीकरण” का मुकाबला करने में मदद मिली। भाजपा ने धर्म परिवर्तन को भी बड़ा मुद्दा बनाया और इसे हर सभा में उठाया गया है।

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