भारत की विदेश नीति अब ‘‘अमेरिकी साम्राज्यवाद के अधीनस्थ सहयोगी’’

राष्ट्रीय जजमेंट 

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने शनिवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि गाजा में संघर्ष विराम का आह्वान करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर मतदान से भारत का दूर रहना ‘‘स्तब्धकारी’’ है और इससे पता चलता है कि भारत की विदेश नीति अब ‘‘अमेरिकी साम्राज्यवाद के अधीनस्थ सहयोगी’’ होने के रूप में आकार ले रही है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा महासचिव डी. राजा ने ‘गाजा में नरसंहार करने वाले आक्रमण को रोकें’ शीर्षक वाले बयान में कहा कि भारत का यह कदम फलस्तीनी मुद्दे को लेकर भारत के लंबे समय से जारी समर्थन को निष्फल कर देता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह चौंकाने वाली बात है कि भारत ‘आम नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखने’ शीर्षक वाले उस प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा, जिसमें गाजा में जारी इजराइली हमलों के मद्देनजर मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया और जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारी बहुमत पारित किया।’’

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