आज हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं जो भगवान शिव को बेहद प्रिय है। यह पेड़ शनिदेव को भी बेहद प्रिय है। इस पेड़ में अकूत दौलत का राज छुपा है।
ये पेड़ है शमी का पेड़। शमी या खेजड़ी एक वृक्ष है जो थार के मरुस्थल एवं अन्य स्थानों में पाया जाता है। यह वहां के लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। इसके अन्य नामों में घफ़, जांट/जांटी, सांगरी, छोंकरा, जंड, वण्णि, सुमरी आते हैं। इसका व्यापारिक नाम कांडी है।
शमी के पेड़ का संबंध सीधा शनिदेव से बताया गया है। शमी के पौधे की पूजा करने से जीवन में आर्थिक दिक्कतें दूर हो जाती हैं और घर-परिवार में खुशहाली आती है।
शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि शनिवार के दिन शमी के पेड़ की पूजा करने पर शनिदेव प्रसन्न होते हैं और आपके जीवन के दुखों को खत्मा कर देते हैं। शमी के पत्ते भगवान शिव को बहुत प्रिय है। शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय शमी के पत्तों को जल में डालकर जल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद घर परिवार पर बना रहता है और परिवार तरक्की के मार्ग पर आगे बढ़ता है।
शमी के पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाने से खर्चे कम होते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि शमी के पेड़ के साथ अगर तुलसी का पेड़ लगा दिया जाए, तो घर परिवार की तरक्की में आने वाली बाधाएं टल जाती हैं। अगर आप कल में ज्यादा ही डूबे हुए हैं तो शनिवार के दिन शमी के पेड़ को काली उड़द और काला तिल चढ़ाएं। ऐसा करने से आपके ऊपर शनिदेव का दुष्प्रभाव कम पड़ेगा और कर्ज चुकाने की शक्ति मिलेगी।
यह पौधा तुलसी के पौधे जितना ही फायदेमंद होता है। इसके फल, पत्ते, जड़ और जूस को चढ़ाने से शनि देव के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है।
घर में शमी का पेड़ लगाने से सुख, शांति व धन की प्राप्ति होती है, साथ ही यह नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाता है।
औषधि के क्षेत्र में इस पौधे का बहुत महत्व है। कई बीमारियों जैसे मानसिक विकार, सिज़ोफ्रेनिया, श्वसन मार्ग के संक्रमण, दाद, दस्त, प्रदर, आदि के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
पौधे के विभिन्न भागों का इस्तेमाल कई औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है। सूखी छाल को अल्सर के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है, और पिसी हुई छाल का काढ़ा गले में खराश और दांत दर्द में राहत देता है। इसके पत्तों की औषधि का इस्तेमाल एंटीसेप्टिक और पेचिश में किया जाता है।
इसके पत्तों के रस का इस्तेमाल आंत में मौजूद परजीवी कृमियों को मारने हेतु किया जाता है। फली का इस्तेमाल मूत्रजननांगी विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार शमी के पौधे का इस्तेमाल शरीर के कफ तथा पित्त दोष को संतुलित करने में लाभकारी होता है। इसकी छाल और फलों का इस्तेमाल दोषों के उपचार में किया जाता है।
यह खुजली वाले चर्म रोग, बिच्छू के काटने, रक्तस्राव संबंधी विकारों और आंखों तथा चेहरे में जलन के इलाज में भी फायदेमंद है।
बार-बार गर्भपात से पीड़ित महिलाओं को भी इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है।
चेहरे के बाल हटाने के लिए भी शमी के पौधे के फलों का पेस्ट इस्तेमाल किया जाता है।
(नोट: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है)
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