हल्दूचौड़ के सामुदायिक स्वास्थ केंद्र बना सफेद हाथी

जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

रिपोर्ट

हल्दूचौड़। लालकुआँ विधानसभा क्षेत्र के बाशिंदों को बेहतर स्वास्थ सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में उत्तराखंड की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा हल्दूचौड़ में 30 बैड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की नींव रखी गई थी। किंतु 2017 में सत्ता परिवर्तन होते ही उक्त महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया। सत्तारूढ़ भाजपा ने उक्त महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया। जबकि क्षेत्र की जनता भवन निर्माण में तेजी लाकर स्वास्थ्य सुविधाएं शुरू किए जाने की मांग करती रही, लेकिन जिम्मेदार मूकदर्शक बने रहे। वर्ष 2022 में भाजपा दूसरी बार फिर से सत्ता में आयी उम्मीद थी कि जल्द ही उक्त सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में बेहतर स्वास्थ सेवाएं मिलेंगी। किंतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का काम कछुआ गति से चलता रहा। हालांकि ग्रामीणों के बार-बार मांग किए जाने के बाद 2014 से शुरू हुई उक्त परियोजना नौ वर्ष बाद भवन के रूप में धरातल में स्थापित जरूर हो गई किंतु स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते हल्दुचौड़ में करोड़ों की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्रवासियों के लिए मात्र सफेद हाथी साबित हो रहा है।
वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी भागीरथी जोशी का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लगभग पूरी तरह से तैयार हो चुका है। पदों के सृजन के लिए शासन को पत्र भेजा गया है जब पद सृजित हो जाएंगे तभी सुचारू रूप से स्वास्थ्य सेवाएं चल पायेंगी।
बताते चलें कि हल्दुचौड़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के बाद क्षेत्रवासियों को उम्मीद थी कि इस केंद्र के बन जाने से आसपास की बड़ी आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि परियोजना की आधारशिला रखने के नौ वर्ष बीत जाने के बाद स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर मात्र भवन ही बन सका है।
अब इसे जनप्रतिनिधियों की उदासीनता कहे या सरकारी नुमाइंदों की हीला हवाली जिसके चलते हल्दूचौड़ समेत आसपास की बड़ी आबादी इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं से आज तक वंचित है। क्षेत्रीय बाशिंदों को इमरजेंसी व अन्य बीमारियों के इलाज के लिए इधर-उधर झोला छाप डॉक्टरों एवं निजी अस्पतालों में मजबूरन मंहगा इलाज कराना पड़ता है।

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