नेबुआ नौरंगिया कुशीनगर। खड्डा तहसील क्षेत्र के भैंसहा में गंडक नदी पर पक्का पुल बनने से दियारा क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी। आजादी के बाद से कुशीनगर और महराजगंज जिले के एक दर्जन गांवों की करीब 60 हजार की आबादी मुख्यधारा से जुड़ जाएगी। बुधवार को खड्डा तहसील भवन सहित 451 करोड़ रुपये की 106 विकास परियोजनाओं की सौगात देने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंडक नदी पर पक्का पुल का वादा किया। इस घोषणा से दियारा के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है।गंडक पार सुविधाओं का अभाव झेल रहे लोगों ने मिठाई बांटकर मुख्यमंत्री की इस घोषणा पर मिठाई बांटकर खुशी जताई। लोगों का कहना है चार माह बाढ़ की विभीषिका से जूझने वाले गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधा मिल सकेंगी। खड्डा तहसील क्षेत्र के भैंसहा के पास से नेपाल से आने वाली गंडक नदी बहती है। नदी के उस पार दियारा क्षेत्र में कुशीनगर जनपद की चार ग्राम पंचायतों शिवपुर, मरचहवा, हरिहरपुर और नरायणपुर के आठ टोलों में 35 हजार से अधिक आबादी निवास करती है।इसके सटे ही महराजगंज जनपद के निचलौल तहसील की सोहगीबरवा, शिकारपुर, मटियरवा, शिकारपुर, पिपरासी गांवों में 25 हजार लोग निवास करते हैं। खड्डा से इन स्थानों की दूरी 16 किमी है, लेकिन गंडक नदी का दियारा होने की वजह से यहां के लोगों को करीब 45 किमी की दूरी तय करके वाल्मिकी नगर टाइगर रिजर्व होते हुए गांव से आवागमन करना पड़ता है। बरसात में मौसम में चार माह तक बाढ़ के पानी से गांव घिर जाते हैं। इससे लोग चार माह तक प्रशासन के रहमोंकरम पर जीवन गुजारते हैं।नदी पार करने के लिए नाव का सहारा रहता है। एक बार में नदी पार करने में पूरा दिन खत्म हो जाता है। इस समस्या को देखते हुए वर्ष 2019 में भैंसहा घाट पर गंडक नदी पर पीपा पुल वर्ष 2019 में लगाया गया। दिसंबर माह से लेकर मई तक पीपा पुल रहता है। बरसात में इसे हटा दिया जाता है।पुल निर्माण से होगा यह फायदा।कुशीनगर और महराजगंज जिले के एक दर्जन गांवों की आबादी मुख्यधारा से जुड़ जाएगी।पुल के लिए बांध और ठोकर बनाए जाने से करीब 20 हजार एकड़ भूमि पर खेती हो सकेगी।कनेक्टिविटी होने से गांव में स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा मिलेगी।
-गांव में आठवीं तक स्कूल हैं, इससे छात्राओं की पढ़ाई नहीं हो पाती है।
– बाढ़ के कारण गांव के स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर और स्टॉफ नहीं है। यहां के लोगों को तुर्कहां सीएचसी पर आकर उपचार कराना पड़ता है।गन्ने की फसल को खड्डा चीनी मिल तक पहुंचाने, गांव में निर्माण कार्य के लिए गिट्टी और बालू सहित अन्य सामान ले जाने में तीन गुना किराया खर्च करना पड़ता है। चार माह गुजारा करने के लिए लोगों को प्रशासन के कम्युनिटी किचन के भरोसे रहना पड़ता है। रसोई गैस, डीजल और पेट्रोल के अभाव में लोगों की खेतीबाड़ी और परिवहन का काम प्रभावित होता है।बरसात की वजह से नववधुएं चार माह तक अपने मायके में रहती हैं। दैनिक क्रिया में लोगों को काफी दिक्कत होती है। पुल बनाए जाने के बाद गांव में बाढ़ का पानी नहीं जाएगा।
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