कोसी महोत्सव में अपूर्वा ने ‘कजरा मुहब्बत वाला’ गाकर लूटी महफ़िल

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार सिंह

सहरसा (बिहार) : बिहार का बेहद खास सांस्कृतिक महोत्सव, दो दिवसीय (10 और 11 मार्च) कोसी महोत्सव इस बार प्रशासनिक अदूरदर्शिता, प्रशासनिक बेफिक्री, बेतैयारी और तारतम्य के अभाव में बेजा और नाहक साबित हो गया। दीगर बात है कि अपनी प्रासंगिकता से ईतर यह फ्लॉप शो बन कर, ग्रामीण मेले का भी शक्ल नहीं ले पाया। बिहार पर्यटन विभाग के सौजन्य से होने वाले, इस दो दिवसीय कोसी महोत्सव का आगाज वर्ष 1997 में तत्कालीन पर्यटन मंत्री अशोक कुमार सिंह के अथक प्रयास से हुआ था। इस महोत्सव की भव्यता और प्रासंगिकता जो शुरू के एक से डेढ़ दशक के बीच में दिखी, उसका निम्न से निम्न स्तर इस बार के महोत्सव में लोगों को देखने को मिला। पहले इस महोत्सव की खासियत यह भी रही है कि इस महोत्सव का विधवत उद्दघाटन सीएम नीतीश कुमार ने भी किया है। हर बार सहरसा, मधेपुरा और सुपौल जिले के विधायक मंत्री से लेकर अधिकाँश वरीय अधिकारी इस महोत्सव के उद्दघाटन सत्र में मौजूद रहते थे। इतना तो तय था कि राज्य के विभागीय मंत्री, उद्दघाटन में निसंदेह उपस्थित रहते थे। लेकिन पर्यटन विभाग का ये पहला राजकीय महोत्सव होगा जिसका उदघाटन जिला पुलिस कप्तान से कराया गया। आखिर ऐसे राजकीय महोत्सव का ऐसा अनादर क्यों ? क्या सूबे के किसी मंत्री को इतनी फुर्सत नहीं थी कि वे इस महोत्सव में आ कर दीप प्रज्ज्वलित कर के इसका विधिवत शुरुआत करते ? स्थानीय लोग तो यहाँ तक कह रहे हैं कि किसी को बुलाया ही नहीं गया होगा ? अगर होली को लेकर जिला प्रशासन को जल्दबाजी थी, तो महोत्सव का समय आगे कर दिया जाता।

मंच की टंच कलाकार

इस महोत्सव में, सुपौल और मधेपुरा के भी जनप्रतिनिधि और पदाधिकारियों को शामिल होना चाहिए। बेहद बड़ा सवाल है कि इस महोत्सव में ना कोई मंत्री, ना सांसद, ना विधायक, ना कमिश्नर, ना डीआईजी और ना ही सहरसा के डीएम आनंद शर्मा ही मौजूद थे। सहरसा की महिला एसपी लिपि सिंह ने सारा कमान अपने काँधे पर सम्भाले रखा, यह निसंदेह काबिले तारीफ कहा जायेगा। सबसे दुखद पहलू ये देखिये की इस कोसी महोत्सव में मुम्बई से दक्षा तुर, शिवांगी पंडित और अतुल पंडित को बतौर बड़ा कलाकार बता कर बुलाया गया था। लेकिन इन गायक-गायिकाओं को इस ईलाके में कोई जानता ही नहीं हैं। खानापूर्ति वाले इस महोत्सव में सिर्फ एक बात खास रही कि क्षेत्रीय गायिका अपूर्वा प्रियदर्शी ने महज 20 मिनट के बन्धित समय के दौरान अपनी नायाब गायकी से ना केवल बेहद अजीम छाप छोड़ी बल्कि महोत्सव की सारी प्रासिंगकता लूट ले गयी। इस कार्यक्रम में दर्शकों के टोंटे के बाबजूद, अपूर्वा प्रियदर्शी ने अपनी जादुई आवाज से खुद के राष्ट्रीय स्तर की गायिका होने पुख्ता प्रमाण दिया है। अपूर्वा ने जगदम्बा घर में दीयरा, कजरा मुहब्बत वाला, झुमका गिरा रे, हँसता हुआ नूरानी चेहरा और झूम,झूम,झूम बाबा गाने गा कर लोगों की खूब तालियाँ बटोरी। वाकई सहरसा की इस बिटिया में
अपार संभावनाएँ हैं। हम ताल ठोंक कर कहते हैं कि अगर दर्शकों की भीड़ होती, तो अपूर्वा प्रियदर्शी इस बेजा महोत्सव में ही एक बड़ी लकीर खींच देती। कुल मिला कर इस फिसड्डी महोत्सव में, अपूर्वा प्रियदर्शी ने ही अपनी शानदार गायकी से थोड़ी बहुत लाज बचाई। अपूर्वा प्रियदर्शी को अगर वक्त दिया जाता, तो वह महोत्सव की भव्यता में सुर्खाब के पर लगा देती। मोटे तौर पर यह महोत्सव की जगह, किसी शादी समारोह वाला कार्यक्रम था।

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