भारतीय सेना के अधिकारियों को सर्वोच्च न्यायालय से 19 वर्ष बाद मिला न्याय

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़

रिपोर्ट

दिनांक 02 मार्च 2023 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक और ऐतिहासिक फैसला देखने को मिला। जिसमें सेना के मेजर पद से सेवानिवृत अधिकारियों को जो सेवा के दौरान लेफ्टिनेंट कर्नल पद पर पदोन्नत की अहर्ता रखते थे एवं इस हेतु भारतीय सेना द्वारा गठित अजय विक्रम सिंह समिति जिसकी अनुशंसा रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई जिसका उद्देश्य सेना के अधिकारियों को युवा और फिट रखने के लिए 13 वर्ष के सेवा काल पूर्ण होने के पश्चात लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पदोन्नत करना था, उसे 16 दिसंबर 2004 से लागू भी कर दिया गया। परंतु दुर्भाग्यवश किसी तकनीकी त्रुटि के कारण अधिकारियों के एक कैडर रेजिमेंटल कमीशन ऑफिसर को इसका लाभ नहीं मिला। सभी सैन्य अधिकारियों ने न्याय के लिए तत्कालीन सेना प्रमुख और रक्षा मंत्री को प्रार्थना पत्र दिया लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला एवं धीरे – धीरे ये अधिकारी सेवानिवृत होते चले गए परंतु इसी कैडर के कुछ अधिकारियों को वर्ष 2009 में इसका लाभ मिला और उनके सेवाकाल में वृद्धि करते हुए पदोन्नति भी प्राप्त हुई। जिसके बाद इन सभी सेवानिवृत्त अधिकारीयों ने न्याय के लिए कोलकाता, लखनऊ और दिल्ली सशस्त्र बल न्यायालय में वाद दाखिल किया और 04 अप्रैल 2011 को उनके पक्ष में आदेश भी पारित हुआ।
रक्षा मंत्रालय ने न्यायालय के आदेश को लागू करने की बजाय सर्वोच्च न्यायालय में आदेश पर रोक लगाने के लिए फरवरी 2012 में याचिका दाखिल कर सशस्त्र बल न्यायालय के निर्णय पर रोक लगवा दी। परंतु देश सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले सेना के अधिकारियों ने हार नहीं मानी और लगातार सर्वोच्च न्यायालय में अपने न्याय के लिए संघर्ष करते रहे और अंततः 11 वर्ष बाद 02 मार्च 2023 को सर्वोच्च न्यायालय ने दोनो पक्षों की दलील सुनने के बाद यह पाया की इन अधिकारियों साथ अन्याय हुआ है,इसके उपरांत रक्षा मंत्रालय के अपील को खारिज करते हुए इन अधिकारियों को 16 दिसंबर 2004 से 6 महीने के भीतर प्रमोशन तथा पेंशन सहित सभी लाभ देने का आदेश पारित किया। इस प्रकार “अजय विक्रम सिंह” समिति का लाभ 19 वर्ष बाद ऐसे 300 अधिकारियों को मिलेगा जिनकी उम्र 67 से 75 वर्ष के बीच है।
उक्त जानकारी सेना के सेवानिवृत्त एवं न्यायालय के निर्णय से लाभान्वित सैन्य अधिकारी कर्नल राम मोहन पाण्डेय ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को साझा करते हुए दी।

सैन्य अधिकारी
कर्नल राम मोहन पाण्डेय

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