एलेक्जेंडर पिचुस्कीन बचपन से ही चेस बोर्ड से काफी प्रभावित था। दरअसल चेसबोर्ड में 64 स्क्वॉयर होते हैं। लिहाजा इस सीरियल किलर ने भी तय कर लिया था कि वो 64 हत्याएं कर के ही दम लेगा।
इस सनक में उसने ना जाने कितने लोगों को बेहद ही क्रूर तरीके से मौत के घाट उतार दिया। पकड़े जाने के बाद इस शख्स ने खुद कबूल किया था कि उसे याद नहीं कि उसने कितने कत्ल किये हैं।
एक, दो, तीन और चार नहीं बल्कि एक के बाद एक 48 हत्याओं के मामले दर्ज हैं इस कातिल पर। लेकिन अगर इस हत्यारे पर यकीन करें तो हत्या करने की उसकी इस सनक के आगे यह गिनती काफी कम है।
दरअसल उसके सिर पर तो फितूर सवार था 64 हत्याएं करने का और इस सनक में उसे याद भी नहीं कि उसने कितनी हत्याएं की? रूस का रहने वाले 33 साल का सीरियल किलर एलेक्जेंडर पिचुस्कीन को साल 2007 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
अब भले ही यह हत्यारा जेल की सलाखों के पीछे है लेकिन उसकी जुर्म की कहानियां आज भी सुर्खियों में रहती है। कहा जाता है कि साल 1992 में इस शख्स ने अपना पहला शिकार किया।
यह किलर ज्यादातर बेघर लोगों को अपना शिकार बनाता था। मॉस्को के Bitsevsky Park में यह अपने शिकार से मिलता था। इस पार्क में रहने वाले बेघर लोगों को यह शख्स मुफ्त में वोडका पिलाने का लालच दिया करता था।
इतना ही नहीं यह सनकी अक्सर लोगों को मारने से पहले उनके साथ जमकर शराब पीता था और उन्हें तब तक शराब पिलाता था जब तक कि वो बेसुध ना हो जाएं। यह सीरियल किलर बड़ी ही बेरहमी से हत्याओं को अंजाम दिया करता था।
यह लोगों को जिंदा ही नाले में फेंक देता था। नाले में गिरा शख्स जब खुद को डूबने से बचाने की खातिर अपना सिर बाहर निकालने की कोशिश करता तो एलेक्जेंडर उसके सिर को हथौड़े से कुचल देता था।
कई लोगों का हथौड़े से दम घोंटकर तो कइयों को लहुलूहान कर इस शख्स ने मौत के घाट उतारा। हालांकि इसने कुछ महिलाओं और बच्चों को भी मारा है लेकिन इसके आसान शिकार थे बेघर लोग।
90 के दशक में इस शख्स की करतूतों ने मॉस्को के मशहूर Bitsevsky Park इलाके को एक खौफनाक जगह के रुप में तब्दील कर दिया था। कई लोग इस पार्क में जाने से कतराने लगे थें उन्हें ऐसा लगने लगा था कि वहां जाने के बाद इंसान वहां की बेहद ऊंची और घने पेड़ों के बीच गायब हो जाता है।
इस पार्क में जाने वाले कई इंसान जब एक-एक कर गायब होने लगे तो लोग अंदर ही अंदर खौफ से भर गए। कहा जाता है कि यह हत्यारा अक्सर रात में ही कत्ल की वारदात को अंजाम दिया करता था। उस वक्त यहां के अखबारों और न्यूज चैनलों में भी पार्क से लोगों के गायब होने की खबरें आम हो गई थीं।
एलेक्जेंडर पिचुस्कीन एक किराने की दुकान में काम करता था। एलेक्जेंडर दुकान में आने वाले लोगों का नाम रजिस्टर में लिखा करता था। एलेक्जेंडर ने रजिस्टर में दर्ज नामों में से करीब 100 लोगों से बातचीत भी की थी और
बाद में इनमें से कइयों का उसने नाम-ओ-निशान मिटा दिया था। दुकान में काम करने वाले लोगों को कभी भी यह शक नहीं हुआ कि एलेक्जेंडर इतना क्रूर भी हो सकता है।
इस शख्स की आखिरी शिकर एक महिला थी जो इसी दुकान में काम करती थी। जब एलेक्जेंडर ने इस महिला को किसी बहाने से पार्क में आने के लिए कहा तो उसे उसपर कुछ शक हुआ। इस महिला ने एलेक्जेंडर का मोबाइल नंबर अपने बेटे को दिया।
हालांकि एलेक्जेंडर से मिलने के बाद यह महिला भी रहस्यमय तरीके से गायब हो गई। लेकिन महिला के गायब होने के बाद घरवालों ने जब पुलिस में एलेक्जेंडर के खिलाफ शिकायत की तो इस सीरियल किलर के गुनाहों पर लगाम लग गया।
पुलिस ने एलेक्जेंडर पिचुस्कीन को गिरफ्तार कर लिया। जल्दी ही इस हत्यारे ने पुलिस के सामने अपनी गुनाहों के राज खोले। इस सीरियल किलर ने अपनी एक डायरी पुलिस को दी जिसमें एक चेसबोर्ड था। चेसबोर्ड में बनाये गये स्क्वॉयर की मदद से यह सीरियल किलर यह याद रखता था कि
उसने अब तक कितने मर्डर किये? पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद इस शख्स ने कई बार अपने बयान भी बदले। पिचुस्कीन ने पुलिस को पहले बताया कि उसने 48 मर्डर किये हैं। फिर उसने हत्याओं की संख्या 49 और 61 बताई। इसके बाद उसने कहा कि हत्याओं की संख्या इससे कहीं ज्यादा है और उसे तो पूरी संख्या याद भी नहीं।
पुलिस की जांच और कुछ शवों की बरामदगी के बाद इस सीरियल किलर पर 48 हत्याएं और तीन लोगों की हत्या की कोशिशों का मामला चला। कहा जाता है कि जब इसपर 48 हत्याओं का मामला चल रहा था तब कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसने खुद अपील की थी कि
कृप्या कर उसके द्वारा की गई हत्याओं को कम कर के ना बताया जाए और इसमें 11 और हत्याओं को जोड़ा जाए। इस मामले में छोटे से ट्रायल के बाद जज ने बिना देरी किये इस शख्स को उम्रकैद की सजा सुना दी थी।