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**|| जय श्री राधे ||****
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक-: 16/01/2022,रविवार
चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष
पौष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि——– चतुर्दशी 27:17:49 तक
पक्ष————————शुक्ल
नक्षत्र————— 26:08:14
योग———— ऐन्द्र 15:18:32
करण———— गर 14:09:40
करण——- वणिज 27:17:49
वार———————- रविवार
माह————————-पौष
चन्द्र राशि —————— मिथुन
सूर्य राशि—————– मकर
रितु———————–शिशिर
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————- प्लव
संवत्सर (उत्तर)———— आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)—– 2078
शाका संवत————– 1943
वृन्दावन
सूर्योदय————- 07:12:16
सूर्यास्त————– 17:45:49
दिन काल———– 10:33:33
रात्री काल———– 13:26:18
चंद्रोदय————– 16:17:07
चंद्रास्त————– 30:46:05
लग्न—-मकर 1°44′ , 271°44′
सूर्य नक्षत्र————उत्तराषाढा
चन्द्र नक्षत्र—————–आर्द्रा
नक्षत्र पाया—————–रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
घ—- आर्द्रा 12:46:28
ङ—- आर्द्रा 19:27:57
छ—- आर्द्रा 26:08:14
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मकर 01:42 ‘ उ oषा o , 2 भो
चन्द्र =मिथुन 10°23 आर्द्रा , 2 घ
बुध = मकर 15 ° 07 ‘ श्रवण ‘ 2 खू
शुक्र=धनु(व) 20°55, पू oषा o ‘ 3 फा
मंगल=वृश्चिक 29°30 ‘ ज्येष्ठा ‘ 4 यू
गुरु=कुम्भ 09°30 ‘ शतभिषा, 1 गो
शनि=मकर 19°43 ‘ श्रवण ‘ 3 खे
राहू=(व)वृषभ 04°30’ कृतिका , 3 उ
केतु=(व)वृश्चिक 04°30अनुराधा , 1 ना
राहू काल 16:27 – 17:46 अशुभ
यम घंटा 12:29 – 13:48 अशुभ
गुली काल 15:07 – 16:27 अशुभ
अभिजित 12:08 -12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 16:21 – 17:04 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 07:12 – 08:31 अशुभ
चर 08:31 – 09:51 शुभ
लाभ 09:51 – 11:10 शुभ
अमृत 11:10 – 12:29 शुभ
काल 12:29 – 13:48 अशुभ
शुभ 13:48 – 15:07 शुभ
रोग 15:07 – 16:27 अशुभ
उद्वेग 16:27 – 17:46 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 17:46 – 19:27 शुभ
अमृत 19:27 – 21:07 शुभ
चर 21:07 – 22:48 शुभ
रोग 22:48 – 24:29* अशुभ
काल 24:29* – 26:10* अशुभ
लाभ 26:10* – 27:51* शुभ
उद्वेग 27:51* – 29:31* अशुभ
शुभ 29:31* – 31:12* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 07:12 – 08:05
शुक्र 08:05 – 08:58
बुध 08:58 – 09:51
चन्द्र 09:51 – 10:43
शनि 10:43 – 11:36
बृहस्पति 11:36 – 12:29
मंगल 12:29 – 13:22
सूर्य 13:22 – 14:15
शुक्र 14:15 – 15:07
बुध 15:07 – 16:00
चन्द्र 16:00 – 16:53
शनि 16:53 – 17:46
🚩होरा, रात
बृहस्पति 17:46 – 18:53
मंगल 18:53 – 20:00
सूर्य 20:00 – 21:07
शुक्र 21:07 – 22:15
बुध 22:15 – 23:22
चन्द्र 23:22 – 24:29
शनि 24:29* – 25:36
बृहस्पति 25:36* – 26:43
मंगल 26:43* – 27:51
सूर्य 27:51* – 28:58
शुक्र 28:58* – 30:05
बुध 30:05* – 31:12
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
मकर > 07:12 से 08:54 तक
कुम्भ > 08:54 से 10:22 तक
मीन > 10:22 से 11:48 तक
मेष > 11:48 से 14:25 तक
वृषभ > 14:29 से 16:21 तक
मिथुन > 15:21 से 17:36 तक
कर्क > 17:36 से 19:56 तक
सिंह > 19:56 से 21:11 तक
कन्या > 21:11 से 00:26 तक
तुला > 00:26 से 02:41 तक
वृश्चिक > 02: 41 से 05:04 तक
धनु > 05:04 से 07:12 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
14 + 1 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
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