नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
दिनाँक:-08/05/2022, रविवार
सप्तमी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- सप्तमी 16:59:41 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र————- पुष्य 14:56:27
योग————- गण्ड 20:31:32
करण———- वणिज 16:59:41
वार———————— रविवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि——————- कर्क
सूर्य राशि——————– मेष
रितु————————–वसंत
सायन———————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————- राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————–1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:36:11
सूर्यास्त————— 18:55:34
दिन काल————- 13:19:23
रात्री काल————- 10:39:55
चंद्रोदय—————- 11:15:21
चंद्रास्त—————- 25:19:56
लग्न—- मेष 23°15′ , 23°15′
सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र——————- पुष्य
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
हो—- पुष्य 08:18:53
ड—- पुष्य 14:56:27
डी—- आश्लेषा 21:32:11
डू—- आश्लेषा 28:05:54
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मेष 23:12 भरणी , 3 ले
चन्द्र =कर्क11°23 , पुष्य , 3 हो
बुध =वृषभ 10 ° 07′ रोहिणी ‘ 1 ओ
शुक्र=मीन 11 °05, उo भा o ‘ 3 झ
मंगल=कुम्भ 23°30 ‘ पूoभाo’ 1 से
गुरु=मीन 05°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°40’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°40 विशाखा , 3 ते
🚩💮🚩 मुहूर्त प्रकरण 🚩💮🚩
राहू काल 17:16 – 18:56 अशुभ
यम घंटा 12:16 – 13:56 अशुभ
गुली काल 15:36 – 17:16 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 17:09 – 18:02 अशुभ
गंड मूल 14:56 – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:36 – 07:16 अशुभ
चर 07:16 – 08:56 शुभ
लाभ 08:56 – 10:36 शुभ
अमृत 10:36 – 12:16 शुभ
काल 12:16 – 13:56 अशुभ
शुभ 13:56 – 15:36 शुभ
रोग 15:36 – 17:16 अशुभ
उद्वेग 17:16 – 18:56 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:56 – 20:16 शुभ
अमृत 20:16 – 21:36 शुभ
चर 21:36 – 22:56 शुभ
रोग 22:56 – 24:16* अशुभ
काल 24:16* – 25:36* अशुभ
लाभ 25:36* – 26:56* शुभ
उद्वेग 26:56* – 28:16* अशुभ
शुभ 28:16* – 29:36* शुभ
🚩होरा, दिन
सूर्य 05:36 – 06:43
शुक्र 06:43 – 07:49
बुध 07:49 – 08:56
चन्द्र 08:56 – 10:03
शनि 10:03 – 11:09
बृहस्पति 11:09 – 12:16
मंगल 12:16 – 13:22
सूर्य 13:22 – 14:29
शुक्र 14:29 – 15:36
बुध 15:36 – 16:42
चन्द्र 16:42 – 17:49
शनि 17:49 – 18:56
🚩होरा, रात
बृहस्पति 18:56 – 19:49
मंगल 19:49 – 20:42
सूर्य 20:42 – 21:36
शुक्र 21:36 – 22:29
बुध 22:29 – 23:22
चन्द्र 23:22 – 24:16
शनि 24:16* – 25:09
बृहस्पति 25:09* – 26:02
मंगल 26:02* – 26:56
सूर्य 26:56* – 27:49
शुक्र 27:49* – 28:42
बुध 28:42* – 29:36
उदयलग्न प्रवेशकाल
मेष > 03:40 से 05:30 तक
वृषभ > 05:30 से 07:20 तक
मिथुन > 07:20 से 09:35 तक
कर्क > 09:35 से 11:52 तक
सिंह > 11:52 से 14:05 तक
कन्या > 14:05 से 06:16 तक
तुला > 06:16 से 06:31 तक
वृश्चिक > 06:31 से 08:45 तक
धनु > 08:45 से 22:46 तक
मकर > 22:46 से 00:18 तक
कुम्भ > 00:18 से 02:06 तक
मीन > 02:06 से 03:40 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
7 + 1 + 1 = 9 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
7 + 7 + 5 = 19 ÷ 7 = 5 शेष
Related Posts
Comments are closed.