सुल्तानपुर की सभी विधानसभा सीट हार सकती है भारतीय जनता पार्टी

सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा चुनाव का आगाज हो चुका है प्रत्येक राजनीतिक दल लोकतंत्र के इस महाभारत में अपने अपने महारथियों के साथ चक्रव्यूह की रचना शुरू कर दी है 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी सुल्तानपुर जिले की सभी विधानसभा सीटों पर अति आत्मविश्वास का शिकार हो रही

जिले में जहां 27 फरवरी को विधानसभा की पांचों सीटों पर वोट डाले जाएंगे वही सपा बसपा और कांग्रेस के अलावा लगभग अन्य सभी दलों ने एक आधा विधानसभा सीट को छोड़कर ना केवल अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है बल्कि डोर टू डोर जाकर अपनी पार्टी की नीतियों और वादों के साथ न केवल जन संपर्क करना प्रारंभ कर दिया है

बल्कि शाम दाम दंड भेद के साथ-साथ धर्म और जाति की राजनीति भी शुरू कर दी है 5 विधानसभा सीटों सबसे चर्चित विधानसभा 187 इसौली जहां बीजेपी का बनवास पिछले दशकों से जारी है एक बार फिर से बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व विधायक स्वर्गीय बाबू इंद्र भद्र सिंह के पुत्र वर्तमान ब्लाक प्रमुख धनपतगंज बाहुबली यशभद्र सिंह उर्फ़ मोनू सिंह को समय से पहले हाथी पर सवार कर दिया है पिछले कई दिनों से इसौली विधानसभा क्षेत्र की जनता के संपर्क में बने हुए हैं

शायद पहली बार भद्र परिवार इसौली के बाहुबली मोनू सिंह को घर घर जाकर समर्थन मांगना पड़ रहा है क्योंकि पिछले दो विधानसभा चुनाव और एक लोकसभा चुनाव हार चुके भद्र परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है जिसे बचाने के लिए यश भद्र सिंह मोनू सिंह बहुजन समाज पार्टी के हाथी पर सवार होकर पूरा जोर लगा रहे हैं वहीं समाजवादी पार्टी ने पूर्व बसपा नेता और जिले के पूर्व सांसद ताहिर खान को अपना प्रत्याशी बनाकर यादव और मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की नई चाल चल दी है सपा प्रत्याशी ताहिर खान न केवल मुस्लिमों मे बल्कि पूर्व सांसद रहते हुए सभी धर्म जातियों के लोगों में अच्छी पकड़ है

बीजेपी ने काफ़ी देर से ही सही मोदी लहर मे विधानसभा हार चुके ओमप्रकाश बजरंगी पर एक बार फ़िर से दांव लगाया है ओमप्रकाश बजरंगी पढ़े लिखें शिक्षित व्यक्ति हैं पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके बजरंगी का मुकाबला बहुबली मोनू सिंह से है मुकाबला दिलचस्प होगा वही कांग्रेस पार्टी इसौली विधानसभा मे अपनी जमानत बचाने के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है जबकि सुल्तानपुर सदर से समाजवादी पार्टी ने अनूप सांडा पर एक बार फिर से दांव लगाया है जहां से काफी देर बाद भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मंत्री विनोद सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है

यह सीट भी समाजवादी पार्टी के लिए यादव बनिया मुस्लिम गठजोड़ के साथ भारतीय जनता पार्टी को कड़ा मुकाबला दी गई लेकिन सुल्तानपुर सदर की विधानसभा सीट कांग्रेस समाजवादी पार्टी के लिए मुसीबत बन सकती है क्योंकि यदि मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो लगभग सवा लाख मुस्लिम सुल्तानपुर सदर विधानसभा सीट से सभी को अचंभित कर सकती हैं वही लंभुआ विधानसभा समाजवादी पार्टी संतोष पांडे एक ब्राह्मण एवं बाहुबली नेता के रूप में सभी जाति और धर्म के लोगों के बीच अपनी जबरदस्त पकड़ बना चुके जबकि भाजपा के सीताराम वर्मा बीजेपी के वोट बैंक के सहारे मैदान में है

जहां भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान विधायक देवमणि दुबे का टिकट काटकर अनुसूचित जाति जनजाति और बैकवर्ड वोट के सहारे लम्भुआ विधानसभा सीट जीतने का मन बनाया है लेकिन सपा के पूर्व विधायक संतोष पांडे के सामने सीताराम वर्मा क्या कर पाते हैं यह तो वक्त बताएगा वहीं कादीपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के राजेश गौतम का विरोध लगातार जारी है भारतीय जनता पार्टी के कई कार्यकर्ता तथा कई बूथ अध्यक्ष बीजेपी जिला अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज चुके हैं

कादीपुर क्षेत्र की जनता भारतीय जनता पार्टी पर लगातार उम्मीदवार बदलने का दबाव बनाती रही है लेकिन कादीपुर विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है यहां से भाजपा और सपा के साथ साथ कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी भी बड़ा उलटफेर कर सकती है

2017 में पूर्ण बहुमत से बनी योगी सरकार कुछ बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो सुल्तानपुर विधानसभा की पांचो विधानसभा सीट हार सकती है भारतीय जनता पार्टी का पांचो सीटों पर हार का कारण उम्मीदवारों का देर से की गई घोषणा और जितने वाले उमीदवार को टिकट न मिलना है

सुल्तानपुर से मुकेश दुबे कि रिपोर्ट

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