खरी-अखरी : महापौर की कुर्सी को कोठा बनाने पर तुली सरकार

बकौल नीरज "सत्ता तो तवायफ़ है आज इसकी है तो कल उसकी है" ।

आर जे न्यूज़ 

बकौल नीरज “सत्ता तो तवायफ़ है आज इसकी है तो कल उसकी है” ।

सरकार का खजाना खाली है । सरकार लगभग हर महीने बाजार से कर्ज लेकर घी पीने के काम में लगी हुई है । मध्यम वर्गीय परिवार के चूल्हों पर मंहगाई का तड़का लगा हुआ है । एक – एक निवाले के लिए मोहताज हो रहे हैं नौनिहाल और मंत्रियों से लेकर संतरियों की ऐय्यासियां बिना रोकटोक जारी हैं ।

हजारों परिवार कोरोना महामारी की विभीषिका में अपनों को खो चुके हैं और शिवराजी सरकार नगरीय निकाय चुनाव की चौसर बिछाने में मशगूल है ।

2018 में विधानसभा चुनाव के बाद बनी कमलनाथी सरकार ने नगर पालिक विधि में संशोधन करते हुए महापौर और अध्यक्ष का चयन जनता की जगह चुने हुए पार्षदों द्वारा किये जाने का प्रावधान कर दिया ।

एक साल बाद विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए हुए तख्तापलट से सत्ता पर काबिज़ हुई शिवराजी सरकार ने कमलनाथी सरकार के फैसले को पलटने का फैसला लेते हुए महापौर, अध्यक्ष का चयन सीधे जनता से कराने के लिए बजट सत्र में नगर पालिक विधि संशोधन विधेयक पेश किया ।

मग़र साल भर के भीतर दुबारा कोविड 19 के ग्रहण की छाया में विधेयक कोमा में चला गया । इसी बीच शिवराजी सरकार के एक महत्वपूर्ण सिपहसालार ने न जाने किस नशे की पिनक में एक सार्वजनिक मंच से घोषणा कर दी कि महापौर, अध्यक्ष का चयन चुने हुए पार्षदों के द्वारा किया जायेगा जिसने महापौर, अध्यक्ष का सपना देख रहे कई महिला पुरुषों की सांसें के उतार चढ़ाव को अटका दिया था ।

2023 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शिवराजी सरकार ने चोरों को साहूकार बनाने के लिए अवैध कालोनियों को नियमित करने के बिल को मंजूरी दे दी । जिसे शिवराजी सरकार का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है ।

अब जैसे – जैसे नगर निकाय चुनावों के पदचाप सुनाई देने की स्थिति निर्मित हो रही है वैसे – वैसे फिर से किसी मास्टर स्ट्रोक को चलने की चर्चाएं आम हो रही हैं । इसी कड़ी में कहा जा रहा है कि शिवराजी सरकार महापौर, अध्यक्ष के चुनाव सीधे जनता से कराने के लिए विधानसभा के मानसूनी सत्र में विधेयक लाने जा रही है । जिसके लिए किसी भी कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दिए जाने की संभावना है ।

ये तो महापौर की कुर्सी न हुई कोठा हो गया कि जब जिसकी मर्जी आये चला आये, जब मर्जी आये चला जाये । सच है ऊदबिलाव से कम नहीं दिख रही है शिवराजी सरकार ।

अश्वनी बड़गैंया, अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार

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