म्युकरमाइकोसिस से अब तक 35 लोगों ने गंवाई आँखें और 107 ने दांत सहित जबड़ा

आर जे न्यूज़-

अहमदाबाद गुजरात। कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए मरीज अब तक म्युकरमाइकोसिस के कारण 35 लोग अपनी आंखें और 107 लोग अपनी जबड़ा और दाँत गंवा चुके हैं। दवा और इंजेक्शन के अभाव में मरीजों की स्थिति अत्यधिक भयावह है। लोगों के मन में यह दहशत है कि सरकार एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में कब आपूर्ति करेगी। म्युकरमाइकोसिस के प्रभाव के कारण आँख और दाँत सहित जबड़ा निकालने की घटनाएं निजी अस्पतालों में हुई है। निजी अस्पतालों के प्रशासन का मानना है कि उन्हें दवाई एवं इंजेक्शन उपलब्ध नहीं कराया जाता।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना से मुक्त हुए मरीज जो डायबिटीज और उच्च रक्तचाप से ग्रसित मरीज ही ज्यादातर म्युकरमाइकोसिस का शिकार होते हैं। अहमदाबाद शहर के निजी अस्पतालों में 92 लोग और सिविल हास्पिटल में 15 लोग सहित कुल 107 लोग दांत – जबड़ा और जबड़ा – तलवा निकलवा चुके हैं। निजी और सरकारी अस्पतालों से जुड़े डॉक्टरों के अनुसार जिस अनुपात में म्युकरमाइकोसिस के मरीजों की संख्या बढ रही है उस अनुपात में दवा और एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन बाजार में उपलब्ध नहीं है। सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में इलाज करना अधिक मुश्किल है।

पूरे शहर में 1300 से अधिक मरीज म्युकरमाइकोसिस का उपचार करा रहें हैं। ईएनटी के डॉक्टरों के अनुसार सरकार को सरकारी अस्पतालों की तरह निजी अस्पतालों को भी दवा उपलब्ध कराना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पूर्ण इलाज होना आवश्यक है। दवा और इंजेक्शन के अभाव में अधूरा उपचार मरीजों के लिए और घातक बन जाता। सिविल हास्पिटल के डेन्टल विभाग के डीन डॉक्टर गिरीश परमार के अनुसार म्युकरमाइकोसिस के मरीजों को ध्यान में रखते हुए डेन्टल विभाग में एक नया वार्ड शुरु किया गया है।

इसके अलावा एक अतिरिक्त आपरेशन थिएटर भी शीघ्र ही शुरु करने की योजना है जिसमें जिसमें रोज चार से पांच आपरेशन किया जाएगा। सिविल हास्पिटल में 350 से अधिक मरीज उपचाराधीन है। ठीक होने पर एक ही दिन तीस मरीजों को डिस्चार्ज भी किया गया। वर्तमान समय में म्युकर के इलाज हेतु आठ वार्ड कार्यरत है ईएनटी विभाग के डॉक्टर किडनी विभाग में जाकर म्युकर से प्रभावित मरीजों का आपरेशन करते हैं। अस्पताल अन्य कैम्पस में भी आपरेशन होता है।प्राप्त जानकारी से अहमदाबाद में इस बीमारी के कारण अब तक 35 लोगों की ऑखें निकलनी पड़ी है। इनमें ज्यादातर मामले निजी अस्पतालों का ही है।

ओक्युलोप्लास्टी सर्जन डॉक्टर सपन शाह के अनुसार कोरोना संक्रमित मरीज को स्टेरोइड देने से उसका सुगर बढता है। म्युकरमाइकोसिस होने पर भी स्वादुपिण्ड अधिक क्रियाशील हो जाता जिससे गेगरिन होने की संभावना बढ जाती है। मरीज से जब आंख निकालने की बात की जाती तो मरीज बिना सोचे ना कह देता। आंख गंवा कर जान बचाने की बात पर किसी तरह मरीज तैयार होते हैं। एक आपरेशन में दस लाख रुपये का इंजेक्शन और चार लाख रुपये ऑपरेशन का खर्च होता है। कोरोना की पहली लहर में मुश्किल से दस ऑपरेशन होते थे, आज स्थिति इतनी भयावह है कि पांचों ऑपरेशन थिएटर 24 घंटे कार्यरत रहते है। रोज 20 से 25 ऑपरेशन होते हैं।

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