संक्रमित फेफड़ों के इलाज में देरी की वजह चेस्ट फिजीशियन विशेषज्ञों की संख्या का कम होना

कोरोना रोगियों के फेफड़े क्षतिग्रस्त करके जान ले रहा है। 90 फीसदी रोगियों की मौत सांस तंत्र फेल होने से हो रही है, इसके बाद भी फेफड़ों को ठीक करने वाले विशेषज्ञों का टोटा है। ज्यादातर रोगियों का इलाज सामान्य फिजीशियन कर रहे हैं, जो जटिलताएं होने पर स्थिति नहीं संभाल पा रहे हैं।

कोरोना से खराब फेफड़ों का इलाज करने वाले विशेषज्ञ चेस्ट फिजीशियन होते हैं, उनकी संख्या बहुत कम है। हालात ये हैं कि नगर में एक लाख आबादी पर एक चेस्ट फिजीशियन है। कोरोना से फेफड़ों को जो नुकसान हो रहा है, वह सामान्य किस्म की जटिलता नहीं है।

फेफड़ों की जटिलताओं का बारीकी से प्रोटोकॉल जो नहीं समझता, वह इसे नहीं संभाल पाएगा। सामान्य फिजीशियन ने इन जटिलताओं के बारे में पढ़ा ही नहीं है। इस स्थिति में कोरोना रोगी की जान अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी खतरे में रहती है।

कोरोना से इस वक्त फेफड़ों की नसों में खून के थक्के जमने के अलावा फाइब्रोसिस हो रही है। इससे एयर चैंबर का लचीलापन खत्म हो रहा है, जिससे कार्बन डाई आक्साइड बाहर नहीं निकल पाती है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉ. मुरारीलाल अस्पताल में इस वक्त कुल मिलाकर पांच चेस्ट फिजीशियन हैं।

इनमें दो संविदा पर हैं। इस तरह हैलट में ही पर्याप्त चेस्ट फिजीशियन नहीं है। कोरोना रोगियों के इलाज की जिम्मेदारी मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों पर है। रोटेशन में चेस्ट फिजीशियन की ड्यूटी लगाई जाती है।

इसके अलावा कानपुर में जो अन्य कोविड अस्पताल हैं, उनमें दो-चार छोड़कर किसी में स्थायी चेस्ट फिजीशियन नहीं है। शहर में जनरल प्रैक्टिस करने वाले चेस्ट फिजीशियन ऑन कॉल रोगी देखा करते हैं। इसके अलावा रोगी को निश्चित दवाएं देकर, उनके प्रभाव का इंतजार करते हैं।

शहर में चेस्ट फिजीशियन की संख्या : 40
नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियन सदस्य : 1600
देश में चेस्ट फिजीशियन की संख्या : 2500

कोरोना फेफड़ों को क्षतिग्रस्त करता है। क्षतिग्रस्त फेफड़ों का इलाज करने की अपनी विशेषज्ञता है। इलाज के तरीके और प्रोटोकॉल हैं। कोरोना में मुख्य प्रभावित अंग फेफड़े होते हैं, इसके अलावा दूसरे अंगों पर भी प्रभाव हो सकता है।

जो अंग प्रभावित हो, उसके विशेषज्ञ की सलाह भी जरूरी होती है। – डॉ. एसके कटियार, चेयरमैन नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियन (सेंट्रल जोन)
कोरोना से मौत का प्रमुख कारण निमोनिया और फाइब्रोसिस

कोरोना से अब तक जो मौतें हुई हैं, उनमें 90 से 95 फीसदी में निमोनिया मुख्य कारण है। फेफड़ों के क्षतिग्रस्त होने के बाद एआरडीएस होता है और मौत हो जाती है। इसके अलावा कैंसर, ब्रेन अटैक, हार्ट अटैक भी मौत का मुख्य कारण बन जाते हैं लेकिन ये रोगी पांच से 10 फीसदी ही होते हैं।

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