दिल्ली में अब ‘सरकार’ का मतलब उपराज्यपाल

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अधिनियम-2021 लागू हुए अभी दो ही दिन हुए हैं, लेकिन सियासी रार में आपसी भरोसे के तार टूटने लगे हैं। दिल्ली में अब ‘सरकार’ का मतलब उपराज्यपाल (एलजी) होने के बावजूद आम आदमी पार्टी  सरकार अपनी ही राह चल रही है। आलम यह है कि राजनिवास की बैठक में शामिल होने की बजाय सीएम अरविंद केजरीवाल अपनी अलग बैठक कर रहे हैं।

इतना ही नहीं टीकाकरण अभियान को लेकर एलजी जो जानकारी मुख्य सचिव से मांग रहे हैं, मुख्यमंत्री उस पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं। दिल्ली की सरकार का दर्जा पाने के बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बृहस्पतिवार को सुबह पहली बार एक बैठक बुलाई थी।

कोरोना संक्रमण की स्थिति पर आयोजित समीक्षा बैठक में आला अधिकारियों संग मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को भी शरीक होना था, लेकिन सीएम के शामिल नहीं होने से यह बैठक नहीं हो सकी। उधर, इसी मुद्दे पर केजरीवाल ने बृहस्पतिवार दोपहर एक अलग बैठक की अधिकारियों को दिशानिर्देश जारी किए। टीकाकरण की तैयारियों को लेकर भी मतभेद आया सामने

दूसरा मतभेद तब सामने आया जब बैजल ने मुख्य सचिव विजय देव को शनिवार से शुरू होने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु वालों के टीकाकरण अभियान की तैयारियों पर रिपोर्ट देने को कहा। जिस अभियान को लेकर उपराज्यपाल को ही नहीं पता, उसे लेकर तमाम जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय ने प्रेस विज्ञप्ति के जरिये मीडिया में साझा कर दी।जजों के लिए कमरे बुक कराने के कदम से अवगत नहीं थे एलजी

राजनिवास की ओर से एक ट्वीट कर यह भी साफ किया गया है कि उपराज्यपाल को सरकार के उस आदेश की जानकारी ही नहीं थी जिसके तहत अशोका होटल में जजों के लिए कमरे बुक कराए गए थे। जबकि सत्तारूढ़ पार्टी के एक विधायक राजेश गुप्ता इस आदेश को उपराज्यपाल द्वारा जारी किया हुआ बता रहे थे।

इसी तरह दिल्ली के लिए पिछले सप्ताह आक्सीजन का जो कोटा बढ़ा, वह केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल के अनुरोध पर बढ़ाया था जबकि गुरुवार को सिसोदिया केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर आक्सीजन का कोटा और बढ़ाने की मांग करते दिखे।

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