गंभीर अवस्था के मरीजों को वेंटीलेटर पर रखने की व्यवस्था धराशाई..

अंबेडकरनगर : गंभीर अवस्था के मरीजों को वेंटीलेटर पर रखने की व्यवस्था धराशाई हो चली है। कारण यहां वेंटीलेटर तो है, लेकिन इसके संचालन के लिए यहां विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती ही नहीं है। ऐसे में यहा भर्ती गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर पर रख फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने को लेकर ट्यूब के जरिए श्वसन नली से जोड़ने का काम नही हो पा रहा। मामला महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज का है। यहां पटरी से उतर चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था अब वेंटिलेटर पर अंतिम सांसें गिन रही है। मरीजों को सुविधा के नाम पर प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये खर्च होते हैं फिर भी सुधार के नाम पर सिफर।

आलम यह है कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से करोड़ों रुपए खर्च कर यहां आए वेंटिलेटर बंद कमरो में धूल खा रहे हैं। मौजूदा समय में कोरोना महामारी से हाहाकार मचा हुआ है। बड़ी संख्या में इसके मरीज महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज समेत अन्य चिकित्सालय में भर्ती हैं। यहां भर्ती मरीजों को सांस लेने में परेशानी होने पर ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन स्थिति ज्यादा बिगड़ने के बाद मरीजों को वेंटीलेटर की सुविधा दी जाती है।

जब किसी मरीज के श्वसन तंत्र में इतनी ताकत नहीं रह जाती कि वो खुद से सांस ले सके तो उसे वेंटलेटर की आवश्यकता पड़ती है। वेंटिलेटर इंसान के फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। साथ ही ये शरीर से कॉर्बन डाइ ऑक्साइड को बाहर निकालता है। महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज लेवल टू फैसिलिटी के कोविड-19 हॉस्पिटल बनाया गया है। यहां कोरोनावायरस मित्र मरीजों का इलाज भी चल रहा है।

लेकिन यहां करोड़ों रुपये खर्च कर मंगाए गए 70 वेंटिलेटर मेडिकल कॉलेज स्थित अस्थि रोग विभाग के बगल कक्ष संख्या 119 में धूल खा रहे हैं। ऐसी स्थिति में गंभीर अवस्था में मरीजों को वेंटिलेटर सुविधा उपलब्ध कराना पड़ा, तो यह होने से रहा। ऐसे में गंभीर अवस्था में मरीजों के पहुंचने के बाद उन्हें वेंटिलेटर की सुविधा नही उपलब्ध हो पाएगी। प्राचार्य संदीप कौशिक ने बताया कि वेंटीलेटर के संचालन के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है, इसके लिए संबंधित विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा गया है।

अनीता देवी राष्ट्रीय जजमेंट संवाददाता अंबेडकरनगर

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