आरोपी कई साल की मेहनत पर फेर रहे थे पानी, इंजीनियर और डॉक्टर की फ़र्ज़ी डिग्री बनाने वाली गिरोह का पुलिस ने किया पर्दाफाश

आर जे न्यूज़-

कई साल की पढ़ाई के बाद मिलने वाली इंजीनियर और डॉक्टर की डिग्री केवल 30-40 दिन में ही लाखों रुपये लेकर देने वाले गिरोह का पर्दाफाश एसआईटी (विशेष जांच दल) ने किया है। यह गिरोह लोगों से लाखों रुपये लेकर उन्हें बड़े शिक्षण संस्थानों की फर्जी डिग्रियां थमा देता था। एसआईटी ने इस गिरोह के दो शातिरों को गिरफ्तार कर लिया है। इन शातिरों की पहचान खरड़ के अंतर्गत आते गांव टोडरमाजरा के सरपंच सरबजीत सिंह और मलेरकोटला में एक टेक्निकल लैब के मालिक सुरिंदर कुमार सिंगला के रूप में हुई है। यह खुलासा सोमवार को एसपी (देहात) रवजोत कौर ग्रेवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया है।

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार शातिरों ने एक फर्जी संस्था बनाई थी। यहां पर वह लोगों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें फर्जी डिग्रियां थमाकर लाखों रुपये एंठते थे। इन शातिरों से दो नामी इंस्टीट्यूट की 326 फर्जी डिग्रियां बरामद हुई हैं। इस मामले में पहले ही जीरकपुर थाने में केस दर्ज है। केस में गिरफ्तार किए गए दोनों शातिरों के नाम भी शामिल कर दिए गए हैं। अभी शातिरों से पूछताछ की जा रही है और कई खुलासे होने के आसार हैं। इस मौके पर डीएसपी जीरकपुर अमरोज सिंह समेत तमाम अधिकारी मौजूद थे।

जानकारी के मुताबिक फरवरी के शुरू में भी पुलिस ने फर्जी डिग्रियां बनाने वाले एक गिरोह का खुलासा किया था। इस गिरोह के शातिरों से पंजाब, हिमाचल, यूपी समेत कई राज्यों के 16 बड़े संस्थानों और यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियां बरामद की गई थी। इस मामले में गिरफ्तार किए गए निर्मल सिंह उर्फ निम्मा से पूछताछ में कई खुलासे हुए थे। इसके बाद एसआईटी ने अब उक्त दोनों शातिरों को गिरफ्तार किया है। इनसे पूछताछ में यह भी सामने आया है कि दोनों शातिरों का इलाके में अच्छा रसूख था। इस कारण उनकी काफी जान पहचान होने के कारण वह इसका फायदा उठाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे थे।

बताया जा रहा है कि यह गिरोह पिछले कई साल से फर्जी डिग्रियां और सर्टिफिकेट बनाकर लोगों से लाखों रुपये की कमाई कर रहा है। यह भी पता चला है कि शातिर सरबजीत सिंह ने ‘काउंसिल ऑफ पैरामेडिकल’ नाम से एक संस्था बनाई हुई थी और इसका फेज-5 में मोहाली कार्यालय खोला हुआ था। सरबजीत सिंह दावा करता था कि उसकी काउंसिल पंजाब सरकार से मान्यता प्राप्त है और उसके पास काउंसिल पास पैरामेडिकल रजिस्टर्ड करने का अधिकार है और वह इसके सर्टिफिकेट भी लोगों बनाकर देता था।

एसआईटी की जांच में यह भी सामने आया है कि सरबजीत सिंह के साथ कई लोग काम करते थे। गिरफ्तार सुरिंदर कुमार सिंगला भी उन्हीं में शामिल था। वह युवाओं को विश्वास दिलाते थे और उन्हें कहते थे कि अगर उन्होंने कोई डिप्लोमा या कोर्स नहीं किया है तो वह उन्हें भी सरबजीत सिंह के पास से डिप्लोमा और कोर्स का सर्टिफिकेट दिलवा देगा।

इस तरह वह फर्जी डिग्रियों का लाखों रुपये में सौदा करता था और फर्जी डिग्रियां थमाकर युवाओं को अपना शिकार बनाता था। इस तरह युवा इनकी चपेट में आसानी से आ जाते थे। एसआईटी की जांच में सामने आया कि विदेश जाने के इच्छुक लोग भी इनकी चपेट में आसानी से आ जाते थे। आरोपी उनकी जरूरत के हिसाब से सर्टिफिकेट तैयार कर देते थे। आरोपी डीएम, एलटी, ओटीटी, बीएएमएस, बीपीटी, इसीजी, एक्सरे टेक्निकल, आरएमपी, सीएमएस, बीएड, बीए आईटीआई समेत कई कोर्सों के सर्टिफिकेट मुहैया करवाते थे।

मोहाली पुलिस ने कम पढ़े-लिखे लोगों से मोटी रकम वसूलकर उनके मनमाफिक डिग्री/सर्टिफिकेट देने वाले गिरोह का फरवरी में पर्दाफाश किया है। यह गिरोह लोगों को महज 30 से 40 दिन में ही ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और डिप्लोमा कोर्स की फर्जी डिग्री मुहैया कराता था। पुलिस ने गिरोह के पांच लोगों को मेरठ, मथुरा और दिल्ली से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपियों के पास से 859 फर्जी डिग्री, 93 स्टांप, 5,102 होलोग्राम, 16 रसीद बुक, 6 लैपटॉप और एक हुंडई की आई-20 कार बरामद की है।

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