भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता क्यों:अर्चना चौधरी

(हापुड़):-महिला सशक्तिकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है। इसमें महिलाएं शक्तिशाली बनती हैं।जिससे वह अपने जीवन के जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अच्छे जीसे रह सकती हैं।समाज में अपने वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है।

शिक्षा और सामाजिक बदलाव भारत जैसे देश में महिलाओं के सशक्तिकरण की नींव है।
अगर महिलाएं पिछड़ी रही तो कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता।महिला को शिक्षित करने से केवल एक व्यक्ति नहीं पूरा परिवार सशक्त बनता है।

महिलाओं को सशक्त बनाना एक तरह से पूरे समाज को सशक्त बनाना है।शिक्षा सिर्फ रोजगार के लिए नहीं होती बल्कि इससे व्यक्ति के ज्ञान और बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।जिससे वह सशक्त बनाता है

महिलाओं की जरूरत हर क्षेत्र में हैं उन्हें बराबरी का अधिकार देने के लिए सामाजिक आर्थिक राजनीतिक और न्याय क्षेत्र को सशक्त बनाना होगा लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को जरूर बढ़ाया जाए।

लैंगिक समानता लाने के लिए हिंदुस्तान में महिला सशक्तिकरण बहुत आवश्यक है।महिलाओं और पुरुषों के बराबरी में लाने के लिए महिला सशक्तिकरण करना जरूरी है।महिलाओं को अपने खुद के निर्णय लेने और उनकी सोच को बदलना ही महिला सशक्तिकरण कहलाता है।जैसा कि हम सभी जानते हैं की

भारत एक पुरुष प्रधान देश है
महिलाएं सिर्फ घर परिवार की जिम्मेदारी उठाते हैं।साथ ही उन पर कई पाबंदियां भी होती हैं भारत की लगभग 50% आबादी केवल महिलाओं की है।मतलब पूरे देश के विकास के लिए इस आधी आबादी की जरूरत है जो अभी भी सशक्त नहीं है और कई सामाजिक प्रतिबंधों से बंधी हुई है।ऐसी स्थिति में हम नहीं कह सकते कि भविष्य में बिना हमारी आधी आबादी को मजबूत किए हमारा देश विकसित हो पाएगा

अगर हमें अपने देश को विकसित बनाना है।तो यह जरूरी है कि सरकार पुरुष और खुद महिलाओं द्वारा महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जाए महिलाओं के लिए प्राचीन काल में समाज में चले आ रहे गलत और पुराने चलन को नए रीति-रिवाजों और परंपराओं में ढाल दिया गया था।

भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिए मां बहन पुत्री पत्नी के रूप में महिला देवियों को पूछते पूजने की परंपरा है। लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि केवल महिलाओं को पूजने भर से देश के विकास की जरूरत पूरी हो जाएगी।आज जरूरत है कि देश की आधी आबादी यानी महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तिकरण किया जाए। जो देश के विकास का आधार बनेगी।

महिलाओं के खिलाफ कुछ बुरे चलन को खुले विचारों के लोगों और महान भारतीय लोगों द्वारा हटाया गया।जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव पूर्ण कार्य के लिए अपनी आवाज उठाई।राजा राम गोपाल राय की लगातार कोशिशों की वजह से ही सती प्रथा को खत्म करने के लिए अंग्रेज मजबूर हुए बाद में दूसरे भारतीय समाज सुधार को ईश्वर चंद्र विद्यासागर आचार्य विनोबा भावे स्वामी विवेकानंद आदि ने भी महिला उत्थान के लिए अपनी आवाज उठाई और कड़ा संघर्ष किया।

भारत में विधवाओं की स्थिति को सुधारने के लिए ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने अपने लगातार प्रयास से विधवा पुनर्विवाह अधिनियम की शुरुआत कराई

पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले लैंगिक असमानता और बुरी प्रथाओं को हटाने के लिए सरकार द्वारा कई सारे संवैधानिक और कानूनी अधिकार बनाए और लागू किए गए हैं।हालांकि ऐसे बड़े विषय को सुलझाने के लिए महिलाएं सहित सभी का लगातार सहयोग की जरूरत है।आधुनिक समाज महिलाओं के अधिकार को लेकर ज्यादा जागरूक है।जिसका परिणाम हुआ कि कई सारे समाजसेवी समूह और एनजीओ आदि इस दिशा में कार्य कर रहे हैं

महिलाएं ज्यादा खुले दिमाग की होती हैं और सभी आयामों में अपने अधिकारों को पाने के लिए सामाजिक बंधनों को तोड़ रही हैं हालांकि अपराध इसके साथ साथ चल रहा हे।भारतीय समाज में सच में महिला सशक्तिकरण लाने के लिए महिलाओं के खिलाफ बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना और उन्हें हटाना होगा

बिना सशक्तिकरण के हमारे देश और समाज में महिलाओं को उसका असली स्थान नहीं मिल सकता जिसकी वह हमेशा से हकदार रही हैं।यह सदियों पुरानी परंपराओं का बिना महिला सशक्तिकरण के महिलाएं इसका सम्मान नहीं कर सकती और इन्हीं पुराने रीति-रिवाजों में फसी रहेंगे गई यही कारण है कि महिलाओं सभी बंधनों से मुक्त होकर निर्णय नहीं ले सकती।हमें अपनी और उनकी सोच को बदलना होगा ताकि वह स्वतंत्रता पूर्वक अपने फैसले ले सकें

महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए महिलाओं को एकजुट होकर खुद आगे आना होगा।

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