श्री त्यागी जी महाराज की पावन स्मृति पर विशाल भंडारा

कंपिल/फर्रुखाबाद

ब्रह्मालीन परम पूज्य संत श्री त्यागी जी महाराज कारव वाले कीअदस्ट अनंत अनुकंपा के फल स्वरूप उनकी पावन स्मृति को अच्छुड़ बनाए रखने के सत्संकल्प से प्रतिष्ठित अनंत श्री विभूषित श्री त्यागी जी महाराज कारव वाले की 19 मी पुण्यतिथि कंपिल में स्थित रामेश्वर नाथ शिवालाय में निम्न कार्यक्रमानुसार मनाई गई |

इस शुभ अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया रामेश्वर नाथ मंदिर जिले के सबसे प्रमुख शिव मंदिर है कंपिल स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग के संबंध में पौराणिक मान्यता है कि यह वह त्र्यंबक नामक शिवलिंग है जिसकी पूजा कर कुबेर धना धीश हुए थे बाद में रावण ने कुबेर को जीतकर इस शिवलिंग को पुष्पक विमान के साथ लंका ले गया और चंडीश्वर के नाम से इसकी पूजा कर तिरलोक विजेता बना लंका प्रवास के दौरान सीता जी अशोक वाटिका में इस शिवलिंग की पूजा किया करती थी|

लंका विजय के बाद भगवान राम इसे अयोध्या ले आए थे उन्होंने अपने अनुज शत्रुघ्न को मथुरा में लवणासुर का वध करने जाते समय इस शिवलिंग को पवित्र स्थल पर स्थापित करने को दिया था शत्रुघ्न ने गंगा तट कंपिल में इस शिवलिंग को स्थापित किया इस कारण इसे उप ज्योतिर्लिंग की मान्यता मिली तथा शिवलिंग के पूजन की महत्व सेतुबंध में रामेश्वरम में स्थापित शिवलिंग के बाद दूसरे स्थान की मिली पतित पावनी गंगा तट पर चारों युगों के अवशेषों को अपने में समेटे पौराणिक ऐतिहासिक नगरी में कंपिल में त्रेता युग में भगवान राम के अनुज शत्रुघ्न ने रामेश्वर नाथ मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी |

इस मंदिर के पास ही कपिल मुनि आश्रम है उन्हीं के नाम से पर इस नगरी का नाम कांपिल्य पड़ा था अब इसे कंपिल के नाम से जाना जाता है कंपिल में कई संतों की समाधिया भी मंदिर परिसर में है लंबे समय तक क्षेत्र में कारव वाले स्वामी के नाम से विख्यात रहे त्यागी जी महाराज ने मंदिर की काफी समय तक देखरेख की उनके ब्रह्मलीन होने के बाद उनके शिष्य आनंद गिरि महाराज मंदिर की देखरेख कर रहे हैं भंडारे का आयोजन आनंद गिरि महाराज एवं समस्त गुरु भाई भक्त गणों ने किया |

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