719 करोड़ के कर्ज का जिन्न फिर जागा, मोहंती व राघव चन्द्रा पर कसेगा शिकंजा

आर जे न्यूज़

भोपाल। अठारह साल पहले मप्र राज्य इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कापोर्रेशन (एमपीएसआईडीसी) द्वारा किए गए 719 करोड़ रुपए के कर्ज के घोटाले का जिन्न एक बार फिर जाग गया है। इस मामले में अब प्रदेश के दो पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह एसआर मोहंती और राघव चन्द्रा पर शिकंजा कसने की संभावना बनने लगी है। यह पूरा मामला वर्ष 2003-04 का है। खास बात यह है कि इस मामले में ईओडब्ल्यू ने 24 जुलाई 2004 को आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

करीब तेरह साल बाद इस मामले में ईओडब्ल्यू ने तत्कालीन मंत्री राजेन्द्र कुमार सिंह और नरेंन्द्र नाहटा, तत्कालीन आयुक्त अजय आचार्य, तत्कालीन संचालक जेएस राममूर्ति एवं तत्कालीन प्रबंध संचालक एमपी राजन के खिलाफ विशेष न्यायाधीश की अदालत में 10 अगस्त 2017 को करीब-करीब एक हजार पेज का चालान पेश किया गया था।

अब इस मामले में एमपी एमएलए मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत ने एक राजनेता और पूर्व प्रदेश के मुख्य सचिव एसएआर मोहंती एवं राघव चन्द्रा सहित कर्ज पाने वाली कंपनियों के प्रबंधकों के खिलाफ दायर याचिका पर ईओडब्ल्यू को 19 जनवरी को जवाब तथा रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश पूर्व विधायक किशोर समरीते की ओर से एडवोकेट मो. रियाज उद्दीन द्वारा विशेष न्यायाधीश प्रवेन्द्र कुमार सिंह की अदालत में याचिका दायर कर इन सभी के खिलाफ ईओडब्ल्यू को जांच कर अभियोग पत्र पेश किए जाने की मांग की गई थी।

मप्र राज्य इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कापोर्रेशन (एमपीएसआईडीसी) के तत्कालीन अध्यक्ष व संचालक मंडल ने वर्ष 2003-04 की अवधि में लोन देने के नियम व प्रावधानों की पूरी तरह से अनदेखी करते हुए फर्जी कंपनियों को 719 करोड़ का कर्ज देने की मंजूरी दी थी। इस कर्ज की स्वीकृति देने के पहले एमपीएसआईडीसी के अध्यक्ष व संचालक मंडल ने न तो प्रोजेक्ट रिपोर्ट मांगी और न ही कर्ज के एवज में किसी कंपनी की कोई संपत्ति को अंडरटेक किया। इसके अलावा कंपनियों के प्रवर्तक संचालकों से कोलेटरल सिक्योरिटी भी नहीं ली गई।
इनके खिलाफ दर्ज हुआ था मामला

इस मामले में तत्कालीन मंत्री राजेन्द्र कुमार सिंह और नरेन्द्र नाहटा, तत्कालीन आयुक्त अजय आचार्य, तत्कालीन संचालक जेएस राममूर्ति, तत्कालीन प्रबंध संचालक एमपी राजन व एसआर मोहंती और एक शराब कंपनी के प्रबंधन से जुड़े लोगों पर प्रकरण दर्ज किया गया था।
एक मुश्त किया भुगतान

मंडल ने नियमों को ताक पर रखते हुए शराब कंपनी के साथ सांठ-गांठ कर उन्हें नियम विरुद्ध लोन दे दिया था। एक शराब कंपनी जिसको पहले 380 करोड़ और दोबारा 339 करोड़ रुपए (कुल राशि 719 करोड़) का कर्ज स्वीकृत करते हुए इसका एकमुश्त भुगतान कर दिया गया था।

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