राष्ट्रपति भवन में परमवीर दीर्घा का उद्घाटन, पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, है नमन तुम्हें हे प्रखर वीर

राष्ट्रीय जजमेंट

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 16 दिसंबर को विजय दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में परम वीर दीर्घा का उद्घाटन किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी, चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह, चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद ही खास पोस्ट किया है।प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा कि हे भारत के परमवीर… है नमन तुम्हें हे प्रखर वीर! ये राष्ट्र कृतज्ञ बलिदानों पर… भारत मां के सम्मानों पर! उन्होंने तस्वीरों को साक्षा करते हुए लिखा कि राष्ट्रपति भवन की परमवीर दीर्घा में देश के अदम्य वीरों के ये चित्र हमारे राष्ट्र रक्षकों को भावभीनी श्रद्धांजलि हैं। जिन वीरों ने अपने सर्वोच्च बलिदान से मातृभूमि की रक्षा की, जिन्होंने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन दिया…उनके प्रति देश ने एक और रूप में अपनी कृतज्ञता अर्पित की है। देश के परमवीरों की इस दीर्घा को, दो परमवीर चक्र विजेताओं और अन्य विजेताओं के परिवारजनों की गरिमामयी उपस्थिति में राष्ट्र को अर्पित किया जाना और भी विशेष है।मोदी ने कहा कि एक लंबे कालखंड तक, राष्ट्रपति भवन की गैलरी में ब्रिटिश काल के सैनिकों के चित्र लगे थे। अब उनके स्थान पर, देश के परमवीर विजेताओं के चित्र लगाए गए हैं। राष्ट्रपति भवन में परमवीर दीर्घा का निर्माण गुलामी की मानसिकता से निकलकर भारत को नवचेतना से जोड़ने के अभियान का एक उत्तम उदाहरण है। कुछ साल पहले सरकार ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में कई द्वीपों के नाम भी परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे हैं।नरेंद्र मोदी ने साफ तौर पर कहा कि ये चित्र और ये दीर्घा हमारी युवा पीढ़ी के लिए भारत की शौर्य परंपरा से जुड़ने का एक प्रखर स्थल है। ये दीर्घा युवाओं को ये प्रेरणा देगी कि राष्ट्र उद्देश्य के लिए आत्मबल और संकल्प महत्वपूर्ण होते है। मुझे आशा है कि ये स्थान विकसित भारत की भावना का एक प्रखर तीर्थ बनेगा। आधिकारिक बयान के अनुसार, स्मरणोत्सव का मुख्य कार्यक्रम युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि समारोह था, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने दक्षिणी कमान के सभी रैंकों की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन वीर सैनिकों, वायुसेना कर्मियों और नौसैनिकों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने राष्ट्र की संप्रभुता और स्वतंत्रता की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया। 1971 के युद्ध के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वालों के प्रति सामूहिक स्मरण और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में मौन रखा गया।

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