मलयालम अभिनेत्री पर हमले का मामला, एएमएमए अध्यक्ष श्वेता मेनन ने सजा को बताया ‘अपर्याप्त’

राष्ट्रीय जजमेंट

मलयालम फिल्म उद्योग की अभिनेत्री पर हुए हमले के हाई-प्रोफाइल मामले में पल्सर सुनी और अन्य दोषियों को सजा सुनाए जाने के बाद फिल्म जगत में प्रतिक्रियाओं की लहर दौड़ गई है। इसी संदर्भ में, कलाकारों के संगठन AMMA की अध्यक्ष और जानी-मानी अभिनेत्री श्वेता मेनन ने अपनी बात रखी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि एएमएमए संगठन इस पूरे मामले में पीड़ित के साथ मजबूती से खड़ा है और न्यायिक प्रक्रिया पर संगठन का रुख बिल्कुल स्पष्ट है।श्वेता मेनन ने कहा कि सभी अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे थे, लेकिन व्यक्तिगत रूप से उन्हें लगता है कि दोषियों को दी गई सजा पर्याप्त नहीं है। उनके अनुसार, इस फैसले के खिलाफ अपील दायर की जानी चाहिए ताकि पीड़ित को पूरा न्याय मिल सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभिनेता दिलीप को AMMA में फिर से शामिल करने के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है। श्वेता ने साफ तौर पर कहा कि दिलीप फिलहाल संगठन के सदस्य नहीं हैं और भविष्य में उनकी वापसी के बारे में वह कुछ नहीं कह सकतीं। श्वेता मेनन ने संगठन की प्रतिक्रिया में देरी को लेकर उठाए गए सवालों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कुछ कलाकारों की टिप्पणियां उनकी निजी राय हो सकती हैं, लेकिन जो लोग लंबे समय से संगठन से जुड़े हैं, वे बेहतर जानते हैं कि इसके भीतर क्या चल रहा है। उनके बयान से यह स्पष्ट हो गया कि AMMA इस मामले में किसी भी तरह की अस्पष्टता नहीं चाहती।
इसी बीच, डबिंग आर्टिस्ट और अभिनेत्री भाग्यलक्ष्मी भी सुर्खियों में आ गईं। उन्होंने अपने नाम और तस्वीर का इस्तेमाल करके फैलाई जा रही कथित फर्जी खबरों के खिलाफ पुलिस महानिदेशक के पास शिकायत दर्ज कराई है। भाग्यलक्ष्मी ने कहा कि सोशल मीडिया पर यह झूठा दावा किया गया है कि उन्होंने अभिनेता दिलीप की फिल्मों के फ्लॉप होने की कामना की थी, जबकि उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा। उन्होंने इसे अपनी सामाजिक छवि खराब करने और उन्हें निशाना बनाने की साजिश बताया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सिनेमा किसी एक व्यक्ति की संपत्ति नहीं है, बल्कि सैकड़ों लोगों की मेहनत से बनता है। इसलिए, किसी फिल्म के फ्लॉप होने की कामना करना उनके स्वभाव और मान्यताओं दोनों के खिलाफ है। उन्होंने फर्जी खबरों का खंडन करते हुए एक वीडियो भी जारी किया और कहा कि अगर उन्हें कुछ कहना होता, तो वे खुलकर और सीधे कहतीं।

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