दिल्ली और उत्तर प्रदेश में खोए और चोरी किये गये सेकड़ों मोबाइल फोन बरामद, राष्ट्रीय रिकवरी दर में 31% से अधिक सुधार

राष्ट्रीय जजमेंट

देश भर में मोबाइल चोरी और गुम होने के बढ़ते मामलों के बीच, एक सकारात्मक रुझान दिखने लगा है। मोबाइल झिन जाना , खो जाना, या गिर जाना, चोरी हो जाना.. इस तरह की वारदातें काफी आम है। न जाने कितने लोगों के मोबाइल रोजाना चोरी हो जाते है। एक कुछ समय में जिस तरह से मोबईल से जुड़े साइबर अपराध बढ़े हैं पुलिस काफी ज्यादा एक्टिव हो गयी है। दिल्ली पुलिस ने खोए व चोरी किये गये 152 मोबाइल फोन बरामद किए और एक विशेष कार्यक्रम के दौरान उन्हें उनके असली मालिकों को सौंप दिया गया। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

पुलिस ने एक बयान में बताया कि मोबाइल फोन में महत्वपूर्ण व्यक्तिगत जानकारी, वित्तीय विवरण व महत्वपूर्ण यादें होती हैं और इनके खो जाने से अक्सर काफी परेशानी होती है। पुलिस के मुताबिक, पिछले वर्षों में सीमित बरामदगी के कारण नागरिकों में यह धारणा बन गई थी कि खोए हुए फोन का पता लगाना पुलिस की प्राथमिकता नहीं है।बयान में बताया गया कि इस मंशा को दूर करने के लिए पुलिस ने 152 मोबाइल फोन का पता लगाकर उन्हें बरामद किया और उन्हें उनके असली मालिकों को लौटा दिया। अधिकारी ने बताया कि इस पहल का नेतृत्व एक विशेष महिला टीम द्वारा किया गया, जिसने तकनीकी उपकरणों व दूरसंचार विभाग के केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (सीईआईआर) पोर्टल का उपयोग कर फोन का पता लगाया।
वहीं दूसरी तरफ पिछले चार महीनों में, चोरी हुए और खोए हुए मोबाइल फ़ोनों की बरामदगी में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। अगस्त और नवंबर 2024 के बीच, राज्य पुलिस बलों और डिजिटल ट्रैकिंग प्लेटफ़ॉर्म के समन्वित प्रयासों से हज़ारों नागरिकों को उनके खोए हुए डिवाइस वापस पाने में मदद मिली।इस अवधि के दौरान, राष्ट्रीय मोबाइल रिकवरी दर में 31.71% का सुधार हुआ, जो हाल के वर्षों में दर्ज की गई सबसे बड़ी उछाल है। देश की औसत रिकवरी दर लगभग 27% है, लेकिन कई राज्यों ने उल्लेखनीय रूप से बेहतर प्रदर्शन किया है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, बिहार और झारखंड, संख्या और दक्षता दोनों के मामले में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हैं।
कुल मिलाकर, इन चार महीनों के दौरान 1.66 लाख से ज़्यादा मोबाइल फ़ोनों का पता लगाया गया और उन्हें वापस किया गया। उत्तर प्रदेश कुल संख्या के हिसाब से सूची में सबसे ऊपर रहा, जहाँ 17,600 से ज़्यादा फ़ोन बरामद हुए, जो सभी राज्यों में सबसे ज़्यादा है।

मोबाइल फ़ोन रिकवरी क्यों चुनौतीपूर्ण है

चोरी हुए मोबाइल फ़ोन को बरामद करना ज़्यादातर अन्य चोरी हुई वस्तुओं को खोजने की तुलना में कहीं अधिक जटिल है। फ़ोन अक्सर एक शहर में चोरी होते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में दूसरे राज्य में सक्रिय हो जाते हैं।

उदाहरण के लिए, दिल्ली में चोरी हुआ कोई उपकरण बिहार, पश्चिम बंगाल, असम या उत्तर प्रदेश के किसी दूरदराज के कस्बे में सक्रिय पाया जा सकता है।

यह अंतरराज्यीय गतिविधि पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया को जटिल बना देती है। IMEI निगरानी या डिजिटल सिस्टम के माध्यम से उपकरण का स्थान पता लगने पर भी, पुलिस को उस राज्य के स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय करना पड़ता है जहाँ फ़ोन सक्रिय हुआ है। टीमें तैनात करना, कागजी कार्रवाई पूरी करना और पुनर्प्राप्ति को अंजाम देना समय और संसाधन दोनों लेता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि एक और बाधा सेकेंड-हैंड या चोरी हुए उपकरणों का बाज़ार है। कई लोग अनजाने में – और कभी-कभी जानबूझकर – चोरी हुए फ़ोन रखते या खरीदते हैं। कानूनी तौर पर, यह चोरी की संपत्ति रखने के अपराध के अंतर्गत आता है, इसलिए जन जागरूकता ज़रूरी है।

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