बिश्नोई गैंग पर प्रतिबंध लेकिन खालिस्तानी आतंकियों से प्यार, क्या फिर भारत से दुश्मनी की राह पर कनाडा?

राष्ट्रीय जजमेंट

ओटावा: कनाडा ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को आतंकवादी समूह घोषित कर दिया है। इससे कनाडा के राज्यों की पुलिस को बिश्नोई गैंग के खिलाफ जांच में पहले से ज्यादा अधिकार और संसाधन प्राप्त हो सकेंगे। कनाडा में बिश्नोई गैंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग बहुत पहले से की जा रही थी। कनाडा की पुलिस का दावा था कि यह गैंग में देश में हुई कई हत्याओं में शामिल है। लेकिन, कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी आतंकवादियों और अपराधियों के प्रति सरकार के समर्थन ने कई सवाल खड़े किए हैं। माना जा रहा है कि कनाडा ने बिश्नोई गैंग पर प्रतिबंध खालिस्तानियों के दबाव में ही लगाया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कनाडा की मार्क कार्नी के नेतृत्व वाली सरकार भी पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की नीतियों पर ही चल रही है।कनाडा ने बिश्नोई गैंग पर क्यों लगाया प्रतिबंधन्यूज 18 ने खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया है, कनाडा में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को देश की आपराधिक संहिता के तहत आतंकवादी संगठन के रूप में आधिकारिक रूप से सूचीबद्ध करना एक चुनिंदा कदम है, जो वहां के कानून प्रवर्तन एजेंसियों के दबाव के बाद उठाया गया है। उन्होंने कहा, “कनाडा भारत और 20:20 जनमत संग्रह में शामिल लोगों को निशाना बनाने वाले खालिस्तानी चरमपंथियों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करता रहा है। बिश्नोई को आतंकवादी समूह घोषित करके, कनाडा भारत के एक आपराधिक आतंकवादी नेटवर्क की तुलना खालिस्तानी अलगाववादियों से करके, बयानों को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है।”भारत की शिकायतों को कमजोर कर रहा कनाडाउन्होंने कहा कि कनाडा, “कनाडा की धरती से संचालित खालिस्तान समर्थक आतंकवाद के बारे में भारत की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को कमजोर कर रहा है। “यह कदम वैश्विक धारणा को बदलने का एक प्रयास है। यह पाकिस्तान प्रायोजित जिहादियों के खिलाफ भारत की मजबूत आतंकवाद-रोधी कूटनीति को कमजोर करने के लिए है। भारत ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और बब्बर खालसा जैसे खालिस्तानी संगठनों पर कई डोजियर दिए हैं, लेकिन कनाडा उन्हें नजरअंदाज करता रहा है।”भारत की मांग पर गंभीर नहीं कनाडा
उन्होंने कहा, “भारत की मांग है कि कनाडा बिश्नोई के विदेशी वित्तीय और हथियार संबंधों पर केवल प्रतीकात्मक प्रतिबंधों के बजाय खुफिया जानकारी साझा करे। केवल खुफिया जानकारी साझा करने से ही यह साबित होगा कि कनाडा गंभीर है या दिखावा कर रहा है।” भारत पहले ही सबूत दे चुका है कि एसएफजे के खालिस्तान जनमत संग्रह कार्यक्रमों द्वारा कनाडा की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण, दुष्प्रचार और लक्षित हत्याओं के लिए किया जा रहा है।”बिश्नोई भारत का घोषित अपराधीबिश्नोई पर पहले से ही एनआईए/यूएपीए के तहत कार्रवाई चल रही है, जिससे पता चलता है कि भारत को आतंकवादी कौन है, इस पर कनाडा के प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। कनाडा के इस कृत्य से आपराधिक गिरोहों का आतंकवादी समूहों के रूप में अंतर्राष्ट्रीयकरण और वैश्विक आतंकवाद-रोधी ढांचे के कमजोर होने का खतरा है। यह उसकी घरेलू आलोचना और प्रवासी राजनीति के खिलाफ एक ध्यान भटकाने वाली रणनीति है, न कि एक वास्तविक आतंकवाद-विरोधी कदम।” सूत्रों ने कहा, “यह कनाडा की विश्वसनीयता की कमी को उजागर कर रहा है।”

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