टेरर फंडिंग का डर दिखाकर डेढ़ महीने रखा कैद में! डिजिटल अरेस्ट कर दिल्ली के पूर्व बैंकर से 23 करोड़ लूटे

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में साइबर ठगों ने एक पूर्व बैंकर को डिजिटल अरेस्ट के जाल में फंसाकर करीब 23 करोड़ रुपये की लूट कर ली। 78 वर्षीय नरेश मल्होत्रा, जो साउथ दिल्ली के पॉश इलाके गुलमोहर पार्क में अकेले रहते हैं, को 1 अगस्त से 16 सितंबर तक डिजिटल कैद में रखा गया। स्कैमर्स ने उन्हें टेरर फंडिंग, पुलवामा अटैक और मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर डराया, यहां तक कि फर्जी अरेस्ट वारंट और प्रॉपर्टी सीज की धमकी तक दी। यह भारत का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट स्कैम माना जा रहा है, जिसमें ठगों ने ED, CBI, NIA और मुंबई पुलिस के नाम से लगातार संपर्क किया।

शुरुआत एयरटेल कॉल से, फिर टेरर का खौफ 

मामला 1 अगस्त को शुरू हुआ, जब नरेश मल्होत्रा को शाम 4:30 बजे उनकी लैंडलाइन पर एयरटेल हेडक्वार्टर से कॉल आया। एक महिला ने खुद को टेलीकॉम कंपनी की अधिकारी बताया और कहा कि उनके आधार कार्ड से मुंबई में फर्जी लैंडलाइन और बैंक अकाउंट खुल गए हैं। इसके तहत 1300 करोड़ का कोऑपरेटिव बैंक घोटाला हुआ, जो टेरर फंडिंग और पुलवामा अटैक के लिए इस्तेमाल हो गया। मल्होत्रा ने आजतक से जुड़े पत्रकार अरविंद ओझा को दिए बयान में कहा, “मैं बहुत डरा हुआ था। स्कैमर्स ने NIA एक्ट के तहत गिरफ्तारी, प्रॉपर्टी जब्ती और परिवार को नुकसान की धमकी दी। वे 24 घंटे सर्विलांस में होने का दावा करते रहे।”

ठगों ने फर्जी अरेस्ट वारंट भेजा, फिर मुंबई पुलिस, ED, CBI के नाम से वीडियो कॉल पर स्टेटस मांगे। मल्होत्रा को हर दो घंटे में रिपोर्ट करना पड़ता था, बैंक जाकर कैमरे के सामने खड़े होकर लोकेशन कन्फर्म करनी पड़ती। राष्ट्रीय सीक्रेट एक्ट का हवाला देकर किसी से बात न करने को कहा। वे घर, बैंक अकाउंट, FD, लॉकर, स्टॉक और परिवार की डिटेल्स मांगते रहे। मल्होत्रा ने बताया, “परिवार से मिलता था, लेकिन कुछ नहीं बताया क्योंकि वे कहते थे कि हमारे एजेंट आपके पीछे लगे हैं।”

23 करोड़ की लूट: शेयर्स बेचवाकर ट्रांसफर कराए

4 अगस्त से 4 सितंबर तक ठगों ने पहले 12.84 करोड़, फिर 9.90 करोड़ वसूले। कुल 22.92 करोड़ रुपये की ठगी हुई। मल्होत्रा को शेयर्स बेचकर तीन बैंकों—सेंट्रल बैंक (9.68 करोड़), HDFC (8.34 करोड़) और कोटक महिंद्रा (4.90 करोड़)—में 20 ट्रांजेक्शन से पैसे ट्रांसफर कराए गए। ठगों ने RBI के नाम पर ‘सर्टिफिकेट’ भेजे कि पैसा वेरिफिकेशन के बाद लौटेगा। मल्होत्रा, जो 2020 में रिटायर हुए और 50 साल बैंकिंग में रहे, ने शाखा मैनेजरों के सामने शांतिपूर्वक ट्रांसफर किए, यहां तक कि चाय भी पिलाई।

12 करोड़ जब्त, लेकिन ज्यादातर रकम उड़ चुकी

शुरू में डर के मारे चुप रहने के बाद मल्होत्रा ने 19 सितंबर को नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। मामला दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट को सौंपा गया। यूनिट ने FIR दर्ज कर जांच शुरू की। ठगों के 4236 ट्रांजेक्शन से 7 लेयर्स में पैसे बंटे, ज्यादातर देशभर के ATM से निकाल लिए गए। फिर भी, पुलिस ने 12.11 करोड़ रुपये विभिन्न अकाउंट्स में फ्रीज कर लिए। यह दिल्ली का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट केस है। गोल्डन ऑवर खो गया, वरना ज्यादा रिकवर हो सकता था।

डिजिटल अरेस्ट का बढ़ता खतरा: सतर्क रहें नागरिक  

यह केस साइबर क्राइम की नई लहर को दिखाता है, जहां ठग वर्चुअल कैद में फंसाकर करोड़ों लूट लेते हैं। पुलिस ने अपील की कि ऐसी कॉल्स पर तुरंत 1930 पर रिपोर्ट करें।

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