दिल्ली से श्रीनगर तक तस्करी का काला कारोबार उजागर, 500 से ज्यादा पीड़ित, चार गिरफ्तार, तीन नाबालिग मुक्त

नई दिल्ली: दिल्ली के आउटर नॉर्थ जिला पुलिसने एक संगठित मानव तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जो दिल्ली-एनसीआर और श्रीनगर के बीच संचालित हो रहा था। स्पेशल स्टाफ और एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की टीम ने जम्मू-कश्मीर पुलिस की सहायता से कई गिरफ्तारियां कीं और नाबालिग पीड़ितों को मुक्त कराया। इस रैकेट में नाबालिगों और मजदूरों को रेलवे स्टेशनों से लुभाकर जम्मू-कश्मीर ले जाकर घरेलू कामगारों और बंधुआ मजदूरों के रूप में शोषित किया जाता था।

मामला भलस्वा डेयरी थाने में दर्ज प्राथमिकी में शिकायतकर्ता ने अपनी 15 वर्षीय नाबालिग बेटी और पड़ोसिन 13 वर्षीय बेटी के अपहरण की शिकायत की थी। प्रारंभिक जांच के बाद मामला एएचटीयू को सौंप दिया गया। जांच के दौरान तकनीकी निगरानी से पता चला कि लड़कियां श्रीनगर में हैं। बीती 15 जून को दोनों पीड़ितों को सफलतापूर्वक बरामद कर दिल्ली लाया गया। चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के समक्ष उनके बयानों में खुलासा हुआ कि उन्हें पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से लुभाया गया, जम्मू के रास्ते ले जाया गया और श्रीनगर में बिना मजदूरी के घरेलू काम के लिए मजबूर किया गया।

तकनीकी और मानवीय निगरानी के आधार पर, 14 अगस्त को एक संयुक्त पुलिस टीम ने प्रह्लाद विहार, दिल्ली से श्रीनगर निवासी 38 वर्षीय सलीम-उल-रहमान उर्फ वसीम और बेगमपुर निवासी 31 वर्षीय सूरज को गिरफ्तार किया। पूछताछ में सलीम ने बताया कि वह श्रीनगर के बेमीना में वी.ए. मैनपावर प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी चलाता है, जिसके माध्यम से पिछले दो वर्षों में लगभग 500 व्यक्तियों की तस्करी की गई और प्रत्येक पीड़ित से भारी कमीशन वसूला गया।

सूरज ने खुलासा किया कि वह दिल्ली-आधारित एजेंटों के इशारे पर तस्करी के शिकारों को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर संचालित सहयोगियों के माध्यम से ले जाता था। जांच के आधार पर, सलीम के साथ श्रीनगर में छापेमारी की गई। 19 अगस्त को रामपुर, यूपी निवासी मुहम्मद तालिब और बाराबंकी, यूपी निवासी सतनाम सिंह उर्फ सरदार जी को गिरफ्तार किया गया। छापेमारी के दौरान एक 16 वर्षीय नाबालिग बच्चे को भी मुक्त कराया गया।

जांच में सामने आया कि ओपरेंडी व्यापक नेटवर्क पर आधारित था, जिसमें रेलवे स्टेशनों पर टाउट्स और प्लेसमेंट एजेंट कमजोर नाबालिगों और मजदूरों को निशाना बनाते थे। सिंडिकेट पुरुष पीड़ित से 20 से 25 हजार रुपये और महिला पीड़ित से 40 से 60 हजार रुपये प्रति व्यक्ति वसूलता था। तालिब के पास से एक जाली यूपी पुलिस सब-इंस्पेक्टर रैंक का आईडी कार्ड बरामद हुआ, जिसका उपयोग कानून प्रवर्तन से बचने और सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने के लिए किया जाता था।

जांच में अन्य शाहबाज खान, नरेश, रोहित पांडे और सोहेल अहमद की संलिप्तता सामने आई है। पुलिस इनकी तलाश कर रही है। आगे की जांच में जाली पहचान दस्तावेज, यूपीआई हवाला लेन-देन, अवैध परिवहन के वाहनों और अन्य पीड़ितों का पता लगाया जा रहा है।

आउटर नॉर्थ जिला के डीसीपी हरीश्वर स्वामी ने कहा, “यह मामला कमजोर नाबालिगों और मजदूरों का शोषण करने वाले गहरे जड़े हुए तस्करी सिंडिकेट को उजागर करता है। कई गिरफ्तारियां और बचाव पहले ही हो चुके हैं, दिल्ली पुलिस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने, शेष पीड़ितों को बचाने और सभी साजिशकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। जांच महत्वपूर्ण चरण में है, और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां तथा बचाव की उम्मीद है।

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