डीयू में सीमा-विमर्श सम्मेलन सम्पन्न, घुसपैठ पर गहन चर्चा, किरेन रिजिजू ने कहा सीमा सुरक्षा के लिए सशक्त नीति जरूरी

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस स्थित शंकर लाल हॉल में सीमा जागरण मंच दिल्ली, मोतीलाल नेहरू कॉलेज सांध्य, और सेंटर फॉर इंटरनेशनल पॉलिटिक्स स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘सीमा-पार से घुसपैठ: सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवेश पर प्रभाव’ शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। समापन सत्र में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत की सीमा सुरक्षा के लिए सशक्त नीति अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा, “राष्ट्र की शुरुआत सीमा से होती है, और पिछले कुछ वर्षों में सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुआ है।”

रिजिजू ने अपने संबोधन में बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों की समस्याओं को समझने की कमी के कारण देश को ऐतिहासिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने कहा, “2014 से पहले सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव था, जिसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से गंभीर माना जा सकता है। 2014 के बाद सशक्त नेतृत्व के साथ सीमा नीति में बदलाव आया, और अब हिंदुस्तान हिम्मत के साथ अपनी जमीन के आखिरी इंच तक पहुंच रहा है।” उन्होंने सीमा जागरण मंच की देश सेवा में भूमिका की सराहना की।

सम्मेलन में हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश सिंह, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रो. धनंजय सिंह, सीमा जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक मुरलीधर, लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) संजय कुलकर्णी, और दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो. बलराम पाणी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कहा, “सीमा जागरण मंच ने सीमावर्ती क्षेत्रों में जागरूकता और सशक्तिकरण के लिए क्रांतिकारी कार्य किए हैं।” उन्होंने मंच के दो दशकों के योगदान को गर्व का विषय बताया।

सम्मेलन में देशभर के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से 174 शोधार्थियों और छात्रों ने घुसपैठ से संबंधित विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र प्रस्तुत किए। कुल 600 प्रतिभागियों ने इस बहु-विषयक और बहु-क्षेत्रीय संवाद में हिस्सा लिया, जिसमें नीति-निर्माताओं, विद्वानों और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया।

सीमा जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक मुरलीधर ने कहा, “घुसपैठ देश के विकास में बड़ी बाधा है। यह धारणा बदलनी होगी कि देश की सुरक्षा केवल सेना और पुलिस की जिम्मेदारी है। सीमाएं माता के वस्त्रों के समान हैं, और उनकी रक्षा प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।”

सम्मेलन के संयोजक डॉ. श्याम नारायण पांडेय ने बताया कि दक्षिण एशिया में सीमा-पार घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा, सांस्कृतिक पहचान और राजनीतिक स्थिरता के लिए चुनौती है। यह सम्मेलन इस विषय पर सार्थक अकादमिक संवाद की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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