हाईवे पर अचानक कार में ब्रेक लगाना ‘लापरवाही’, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनाया अहम फैसला

राष्ट्रीय जजमेंट

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि राजमार्गों पर अचानक और बिना किसी चेतावनी के ब्रेक लगाना लापरवाही माना जाता है। न्यायालय ने कहा कि अगर इस तरह की हरकत से कोई दुर्घटना होती है, तो कार चालक को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने मंगलवार को एक गंभीर सड़क दुर्घटना से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा, “राजमार्गों पर वाहन तेज़ गति से चलते हैं। अगर कोई चालक रुकना चाहता है, तो पीछे चल रहे वाहनों को स्पष्ट संकेत देना ज़रूरी है। यह फैसला तमिलनाडु के कोयंबटूर में 7 जनवरी, 2017 को हुई एक दुखद दुर्घटना के मामले में आया है। इंजीनियरिंग के छात्र एस. मोहम्मद हकीम अपनी मोटरसाइकिल चला रहे थे, तभी उनके आगे चल रही एक कार ने बिना किसी चेतावनी के अचानक ब्रेक लगा दिए। हकीम कार से टकराकर सड़क पर गिर पड़े। दुर्भाग्य से, पीछे चल रही एक बस ने उन्हें कुचल दिया, जिससे उनका बायाँ पैर काटना पड़ा। मुकदमे के दौरान, कार चालक ने दावा किया कि उसने अचानक गाड़ी इसलिए रोकी क्योंकि उसकी गर्भवती पत्नी को मिचली आ रही थी। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि इस तरह का बहाना बनाकर तेज़ रफ़्तार वाले राजमार्ग पर दूसरों की जान जोखिम में डालना उचित नहीं है। अदालत ने ड्राइवर के स्पष्टीकरण को अस्वीकार्य पाया और कहा कि भले ही कोई मेडिकल इमरजेंसी हो, हाईवे पर बिना किसी चेतावनी के अचानक ब्रेक लगाना खतरनाक और गैर-ज़िम्मेदाराना दोनों है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More