जमीन का विवाद खत्म, केसरीखेड़ा फ्लाईओवर का रास्ता साफ; 31 लोगों की जमीनों की हुई पैमाइश

राष्ट्रीय जजमेंट

राजधानी लखनऊ में केसरीखेड़ा रेलवे क्रॉसिंग फ्लाईओवर का काम अटकने से सात महीने से परेशानियां झेल रही करीब पांच लाख की आबादी को बड़ी राहत मिली है। सेतु निगम के इस अहम प्रोजेक्ट की राह में आ रहा जमीन का विवाद खत्म हो गया है। लोक निर्माण विभाग की टीम ने शनिवार को 31 लोगों की जमीन की पैमाइश कर मुआवजे की गणना की। इन सभी को कृषि जमीन के सर्किल रेट 3620 रुपये प्रति वर्गमीटर की दोगुनी दर (7240 रुपये प्रति वर्गमीटर) के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।अफसर अबू इशहाक अहमद के नेतृत्व में छह लोगों की टीम ने दोपहर 12 बजे से पैमाइश शुरू की, जो दो बजे तक चली। जिन लोगों की जमीन की पैमाइश हुई, उनमें कुछ केसरीखेड़ा के मूल निवासी किसान और कुछ इनसे भूखंड खरीदने वाले हैं। करीब 320 वर्गमीटर की सबसे ज्यादा जमीन पंकज यादव, सुमित यादव, रामकिशोर के परिवार की है।
केसरीखेड़ा फ्लाईओवर को गति देने के लिए कुल 31 लोगों ने मुआवजा लेने पर सहमति दी। इनमें श्रीमती कमलेश यादव, राकेश यादव, संत विलास यादव, राकेश, रामकुमार, राम किशोर, दिनेश सिंह, राजाराम, रामस्वरूप, रामजीवन यादव, प्रेमलाल यादव, उमामल्ह, मंजू लता, कमला मौर्या, रत्नेश उर्फ रत्ना सिंह, पंकज दुबे, रेखा दुबे, शोभा, विनय कुमारी, राम लखन, स्नेहलता द्विवेदी, राम मिलन, बृजलाल यादव, सरिता मिश्रा, अवधेश कुमार, राम किशोर, निर्भय, नित्यराम, भैरवती शर्मा, प्रतिभा व राजू हैं। केसरीखेड़ा में प्लॉट खरीदकर उस पर दुकान बनाकर बिल्डिंग मैटेरियल का व्यापार करने वाले दीपू ने बताया कि फ्लाईओवर के निर्माण में उनकी 24.385 वर्गमीटर जमीन चली गई। इसका उन्हें 1.36 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। दीपू ने कई वर्षों पहले 400 रुपये प्रति वर्गफीट की दर से 1300 वर्गफीट जमीन किसान से खरीदी थी।
धीमी गति से टूट रहा कॉम्प्लेक्स
सेतु निगम का कहना कि फ्लाईओवर का प्रमुख अवरोध कॉम्प्लेक्स धीमी गति से टूट रहा है। इसके पूरी तरह ध्वस्त होने व मलबा उठाने में सात-आठ दिन लग जाएंगे। इसके बाद फ्लाईओवर के अधूरे काम को गति मिल सकेगी। शनिवार तक कॉम्प्लेक्स की तीसरी मंजिल का आधे से ज्यादा हिस्सा टूट चुका था।
रंग लाई अमर उजाला की मुहिम
अधूरे फ्लाईओवर के कारण दिक्कतें झेल रही जनता को राहत दिलाने के लिए अमर उजाला ने मुहिम शुरू की। इसके तहत सिलसिलेवार तरीके से खबरें प्रमुखता से प्रकाशित की गईं। इसका असर हुआ कि बड़े जिम्मेदार शासन तक तलब हुए और इन्हें अल्टीमेटम मिला कि फ्लाईओवर का काम पूरा कराएं। इसके बाद सेतु निगम, लोक निर्माण, एलडीए व जिला प्रशासन के अफसरों ने जुटकर बाधा को दूर किया।

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