जब निशाने पर थे मुशर्रफ और नवाज, भारतीय वायुसेना के पराक्रम की कहानी, ऑपरेशन सफेद सागर का कौन सा धांसू वीडियो IAF ने शेयर कर दिया?

राष्ट्रीय जजमेंट

भारतीय वायुसेना (IAF) ने 26 वर्ष पहले 26 मई, 1999 के अपने एक ऐतिहासिक अभियान को याद किया। वायु सेना की तरफ से किए गए इस अभियान का नाम था ऑपरेशन सफेद सागर था, जिसे ऑपरेशन विजय के भारतीय थल सेना को सपोर्ट देने के लिए शुरू किया गया था ताकि कारगिल युद्ध के दौरान जम्मू-कश्मीर के कारगिल सेक्टर से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ा जा सके। ऑपरेशन सफेद सागर के तहत, मिराज 2000, मिग-21, मिग-23, मिग-27, मिग-29, जगुआर और चेतक हेलिकॉप्टर सहित विभिन्न वायुसेना संसाधनों का इस्तेमाल किया गया, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद कश्मीर क्षेत्र में पहली बार बड़े पैमाने पर हवाई शक्ति के प्रयोग का उदाहरण था।आईएएफ ने कहा कि पहली बार किसी वायुसेना को दुर्गम पहाड़ी इलाकों में ऐसी ऊँचाई पर सटीक अभियानों के लिए लगाया गया। यह सैन्य विमानन इतिहास का मील का पत्थर बन गया। आईएएफ के अनुसार, यह अभियान अपने आप में अनूठा था क्योंकि इसमें हवाई शक्ति का इस्तेमाल पारंपरिक नहीं बल्कि नई भूमिकाओं में हुआ। अभियान ने स्थानीय संघर्ष में सीमित हवाई संसाधनों के प्रभाव को दिखाया और यह विचार तोड़ दिया कि हवाई शक्ति के प्रयोग से संघर्ष पूर्ण युद्ध में बदल जाएगा।आईएएफ ने कहा कि सटीक हमलों का प्रभाव भारतीय थल सेना के एक मुख्यालय से मिले संदेश में सबसे अच्छा समझा जा सकता है… ‘आप लोगों ने शानदार काम किया है। हमारे मिराज पायलटों द्वारा टाइगर हिल क्षेत्र में लेज़र गाइडेड बम से शत्रु बटालियन मुख्यालय को निशाना बनाया गया, जिसमें पाँच पाकिस्तानी अधिकारी मारे गए और उनका कमांड एवं कंट्रोल टूट गया—जिसके कारण हमारी सेना ने टाइगर हिल्स क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया। दुश्मन भाग रहा है। अन्य सेक्टर में भी वे भाग रहे हैं। इस गति से संघर्ष का अंत जल्द आ सकता है। एक्स पोस्ट में आईएएफ ने कहा कि इस ऑपरेशन ने न केवल भारतीय वायुसेना की बहु-आयामी क्षमता और संकल्प का प्रदर्शन किया, बल्कि सीमित हवाई हमलों के भय-प्रभाव को भी स्थापित किया—even in a low-intensity conflict. “यह साबित हुआ कि हवाई शक्ति बिना अंतरराष्ट्रीय सीमा पार किए, निर्णायक रूप से युद्ध का रुख बदल सकती है। इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के मुताबिक कारगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना के जगुआर का निशाना चूक गया, नहीं तो नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ तभी मारे गए होते। कारगिल युद्ध के दौरान इंडियन एयर फोर्स के एक जगुआर ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के ऊपर उड़ान भरी। इसका जगुआर का उद्देश्‍य पाकिस्तानी सेना के एक ठिकाने पर लेजर गाइडेड सिस्टम से बमबारी करने लिए टारगेट को सेट करना था। इसके पीछे आ रहे दूसरे जगुआर को बमबारी करनी थी। लेकिन शायद पवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ की सांसे बाकी थीं। इसलिए दूसरा जगुआर निशाने से चूक गया और उससे लेजर बास्‍केट के बाहर बम गिरा। इससे वो ठिकाना बच गया, जहां परवेज और नवाज मौजूद थे।

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