नमो भारत कॉरिडोर के सराय काले खां स्टेशन पर विद्युत आपूर्ति के लिए रिसीविंग सब-स्टेशन तैयार

नई दिल्ली: दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर के सबसे महत्वपूर्ण और आकर्षक स्टेशनों में से एक सराय काले खां तक जल्द ही नमो भारत ट्रेनों का संचालन शुरू होने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। इस दिशा में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने सराय काले खां रिसीविंग सब-स्टेशन (आरएसएस) का निर्माण पूरा कर लिया है। वर्तमान में इस सब-स्टेशन की टेस्टिंग की जा रही है, जो फेज़-1 के तीनों कॉरिडोर का पावर जंक्शन पॉइंट बनकर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।

सराय काले खां आरएसएस 66 केवी की विद्युत आपूर्ति के लिए तैयार किया गया है, जिसके लिए एनसीआरटीसी ने दिल्ली ट्रान्स्को लिमिटेड और गैस टर्बाइन पावर स्टेशन (जीटीपीएस) के साथ करार किया है। इस सब-स्टेशन से ट्रेन संचालन के लिए 25 केवी और कॉरिडोर पर बने स्टेशनों के लिए 33 केवी विद्युत आपूर्ति की जाएगी। सब-स्टेशन में 66/33 केवी के दो और 66/25 केवी के दो, कुल चार ट्रांसफॉर्मर लगाए गए हैं, जिनमें से तीन ट्रांसफॉर्मर कॉरिडोर के लिए चालू रहेंगे, जबकि एक ट्रांसफॉर्मर आपातकालीन बैकअप के रूप में रखा गया है। भविष्य के नमो भारत कॉरिडोर के लिए 66/25 केवी के दो अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर भी लगाए गए हैं। यह सब-स्टेशन सराय काले खां स्टेशन के नजदीक स्थित है, जो ट्रेन संचालन की दक्षता को और बढ़ाएगा।

दिल्ली से मेरठ तक के 82 किमी लंबे कॉरिडोर पर वर्तमान में न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक 55 किमी के सेक्शन में नमो भारत ट्रेन सेवाएँ सफलतापूर्वक चल रही हैं। जल्द ही न्यू अशोक नगर से सराय काले खां स्टेशन तक भी ट्रेन सेवाओं का विस्तार होगा। पूरे कॉरिडोर पर 2025 तक ट्रेन संचालन शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 25 स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं। सराय काले खां से मेरठ तक के पहले कॉरिडोर का निर्माण अंतिम चरण में है, और इस कॉरिडोर पर कुल पाँच रिसीविंग सब-स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जिनमें से सराय काले खां, गाजियाबाद, मुराद नगर, शताब्दी नगर तैयार हैं, जबकि मोदीपुरम सब-स्टेशन का निर्माण कार्य जारी है।

एनसीआरटीसी न केवल परिवहन बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। सभी रिसीविंग सब-स्टेशन इंडियन ग्रीन बिल्डिंग कॉउन्सिल (आईजीबीसी) के उच्चतम मानकों के अनुरूप विकसित किए जा रहे हैं, जिसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, सोलर पावर पैनल, एलईडी लाइटिंग और हरित क्षेत्र शामिल हैं। 82 किमी लंबे कॉरिडोर पर 11 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जिससे सालाना 11,500 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी। यह कदम जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मील का पत्थर साबित होगा।

एनसीआरटीसी के एक प्रवक्ता ने बताया, “हम सस्टेनेबल एनर्जी और परिचालन दक्षता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सराय काले खां आरएसएस न केवल ट्रेन संचालन के लिए विश्वसनीय पावर सप्लाई सुनिश्चित करेगा, बल्कि अन्य कॉरिडोर को भी आपातकाल में विद्युत समर्थन प्रदान करने में सक्षम होगा।”

दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर की तर्ज पर अन्य कॉरिडोर पर भी स्थानीय रिसीविंग सब-स्टेशन विकसित किए जाएंगे, जिससे नमो भारत ट्रेनों का निरंतर और बिना बाधा संचालन सुनिश्चित होगा। यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, बल्कि हरित और सस्टेनेबल भविष्य की ओर भी एक बड़ा कदम साबित होगी।

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