निर्मला सीतारमणने संसद से सड़क तक हंगामा कर रही द्रमुक का सच से सामना कराया

राष्ट्रीय जजमेंट

त्रि-भाषा और लोकसभा सीटों के परिसीमन के मुद्दे पर राजनीति को सुलगा रही तमिलनाडु की सत्तारुढ़ पार्टी द्रमुक को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तगड़ा जवाब दिया है। निर्मला सीतारमण ने द्रमुक नेताओं का जिस तरह सच से सामना कराया उसके चलते पार्टी के नेता बगले झांकने लगे हैं। हम आपको बता दें कि भाषा विवाद को लेकर निर्मला सीतारमण ने द्रमुक पर निशाना साधा और उस पर पाखंड करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि जिस ‘‘बुजुर्ग व्यक्ति’’ की वे पूजा करते हैं, वह तमिल को ‘‘बर्बर’’ भाषा बताते थे, जो भिखारियों को भीख पाने में मदद नहीं कर सकती। निर्मला ने द्रमुक का सच से कराया सामना लोकसभा में निर्मला सीतारमण ने कहा कि द्रमुक के लोग ऐसे व्यक्ति को अपना आदर्श मानते हैं, जिसने तमिल भाषा के खिलाफ “अपमानजनक” बातें कही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनका नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन जैसे ही मैं उनके अंश पढ़ती हूं, तमिल भाषा से थोड़ा-बहुत भी अवगत कोई व्यक्ति समझ जाएगा कि मैं किसके बारे में बोल रही हूं।’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इसके विपरीत, वे उनकी तस्वीर को रखेंगे। वे यह भी कहेंगे कि वह हमारे द्रविड़ प्रतीक हैं।’’
हालांकि भाजपा नेता ने उस ‘‘बुजुर्ग व्यक्ति’’ का नाम नहीं लिया, लेकिन वह स्पष्ट रूप से द्रविड़ आंदोलन के अग्रणी नेता पेरियार का जिक्र कर रही थीं। सीतारमण ने इस बात पर भी खेद व्यक्त किया कि द्रमुक सांसदों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जंजीरों में जकड़े हुए दिखाने वाले कार्टून की निंदा तक नहीं की। उन्होंने कहा कि ‘विकटन प्लस’ के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित कार्टून (अब वापस ले लिया गया) के पीछे जो लोग हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘…जब माननीय प्रधानमंत्री के बारे में कार्टून बनाया जाता है, तो क्या आप चाहते हैं कि हम सब बैठकर इसे देखें? निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी, और मुझे खुशी है कि विकटन का कार्टून हटा दिया गया।’’ उन्होंने कहा कि अगर कोई तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के खिलाफ कुछ भी कहता है, तो उसे ‘‘आधी रात को गिरफ्तार कर लिया जाता है।’’ द्रमुक पर अपना हमला जारी रखते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि तमिलनाडु में सत्तारुढ़ पार्टी तमिल भाषा के बारे में दोहरे मानदंड रखती है। सीतारमण ने कहा कि सिर्फ यह कहने के लिए कि ‘‘आपका विरोध असभ्य है’’, उन्होंने (द्रमुक) शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को अपना बयान वापस लेने पर मजबूर कर दिया। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन एक व्यक्ति जो बार-बार कहता है कि तमिल एक बर्बर भाषा है, वे उसकी तस्वीर हर कमरे में रखते हैं, उसे माला पहनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं और कहते हैं कि वह द्रविड़ आंदोलन का प्रतीक है। उनके पाखंड को देखिए।” बाइट।हम आपको बता दें कि इस सप्ताह राष्ट्रीय शिक्षा नीति और तीन भाषाओं की नीति को लेकर लोकसभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच तीखा आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला। प्रधान ने द्रमुक पर तमिलनाडु के छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने तथा एनईपी पर अपने रुख से पलटने का आरोप लगाया, वहीं राज्य में सत्तारुढ़ पार्टी ने कहा कि उसे नई शिक्षा नीति और तीन भाषाओं का फार्मूला मंजूर नहीं है। प्रधान ने लोकसभा में द्रमुक सदस्यों के विरोध के बीच, अपने वक्तव्य से एक शब्द वापस ले लिया और आसन ने भी इस शब्द को सदन की कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया। प्रधान ने संसद परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जिनके पास ठोस तथ्य नहीं हैं वे केवल दूसरों को गुमराह करने के लिए हंगामा खड़ा करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि द्रमुक नीत तमिलनाडु सरकार को छात्रों के हित के लिए राजनीति से ऊपर उठना चाहिए।वहीं, स्टालिन ने द्रमुक की आलोचना किये जाने को लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री पर आरोप लगाया कि वह खुद को राजा समझते हुए ‘अहंकार’ से बात करते हैं। उन्होंने प्रधान से अपनी जुबान पर नियंत्रण रखने को भी कहा। उन्होंने कहा, ‘‘आप तमिलनाडु के लोगों का अपमान कर रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसे स्वीकार करते हैं?’’ मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच पर केंद्रीय मंत्री को जवाब देते हुए पोस्ट किया, ‘‘आप केवल यह बताइए कि क्या आप वह कोष जारी कर सकते हैं या नहीं, जो हमसे एकत्र किया गया था और जो तमिलनाडु के विद्यार्थियों के लिए है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि द्रमुक सरकार लोगों के विचारों का सम्मान करते हुए काम करती है, जबकि भाजपा नेता ‘‘नागपुर से आए आदेश’’ से बंधे रहते हैं। उन्होंने द्रमुक सांसदों को निशाना बनाने के लिए एक शब्द विशेष के इस्तेमाल को लेकर प्रधान की आलोचना की और कहा कि केंद्रीय मंत्री ने धनराशि जारी न करके तमिलनाडु को धोखा दिया है। वहीं पलटवार में धर्मेंद प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री राज्य के छात्रों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं।हम आपको बता दें कि केंद्र और तमिलनाडु के बीच नई शिक्षा नीति के त्रि-भाषा फॉर्मूले पर तकरार जारी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति और त्रि-भाषा नीति विवाद को लेकर तमिलनाडु के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पलानीवेल थियागा राजन ने अपने ताजा बयान में कहा है कि त्रि-भाषा नीति पूर्ण रूप से ‘विफल’ मॉडल है और इसे तमिलनाडु की द्वि-भाषा नीति के ‘सफल’ मॉडल की जगह क्यों लेनी चाहिए? राजन ने सवाल उठाया कि क्या कोई भी ज्ञानी और बुद्धिमान व्यक्ति एक विफल मॉडल को स्वीकार करेगा? उन्होंने कहा कि पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 में आई थी, लेकिन त्रि-भाषा नीति को कहीं भी ठीक से लागू नहीं किया जा सका और द्वि-भाषा नीति अपनाने वाला तमिलनाडु ही सबसे अच्छे शिक्षण परिणाम दे पाया। राजन ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तरी राज्यों में दूसरी भाषा अंग्रेजी को ठीक से पढ़ाया जाता, तो तीन भाषाओं का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि केंद्र के पास कोई भी भाषा थोपने की शक्ति या अधिकार नहीं है और वे द्वि-भाषा नीति को भी सफलतापूर्वक लागू नहीं कर पाए हैं, जबकि तमिलनाडु द्वि-भाषा नीति लागू करने में सफल रहा है।

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